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रब्बरके टुथ ब्रशों हिन्दुओं और खास करके जैनों को मुंहमें डालकर भ्रष्ट होना वो कीतनी शर्म की बात है ? फीर वो ब्रशों कीतनी वख्त दांतो में पोल पाडके बहुत बीगाडा करता है । यद्यपि वो बहुत फायदाकारक नहिं है, और मान लो की कभी होवे तो भी अपन लोग कहां साधनहीन है ? अथात् दांतकी शुद्धि, मजबुताई और दूसरे फायदेकारक बहुत तरहका इलाज है । इस वजह विलायती टुथ पावडर और दुथ ब्रश को कामम लीया जाते होवे, तो बंध करना चाहिये । और उपयोग न किया जाते हो तो, फिर नहि वापरने की प्रतिज्ञा करनी । ऐसी चीजो की प्रतिज्ञा करनेसें फायदा होता है ।
[ सब लोगोकों सस्ते में भी दंत शुद्धि के लीये सभीको मुफत मीले, वैसी सगवड सिर्फ दातन ही है। देशी वैदामें आवळ, बावळ, बोरडी और लीमडा के दातनमें कोहवाट दूर करने का फायदा बताया हैं । कुदरती उत्पन्न हुवेहुऐ दांत नीकलवाने का बहुत भयंकर रिवाज शुरु हुआ है । पेटकी खराबीसे दांत के रोग होता है । यद्यपि पीछे दांतका रोग पेटका भी बीगाडा करते हैं । लेकीन सबसे सीधा रास्ता यही है की, पेटकी खराबी दूर करनी चाहिये। वो करनेका बिनअनुभवी वैद्य - डॉक्टरों दांत नीकलवानेकी बात बातमें सूचना करते हैं | जरासा दांतमें या दाढमें दुःख हो जाय की - ताबडतोब दर्दीओंको फुसलाते ही अचानक दांत या दाढ नीकला
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