Book Title: Abhakshya Anantkay Vichar
Author(s): Pranlal Mangalji
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana

View full book text
Previous | Next

Page 197
________________ कल की गटरों से उत्पन्न होते कई प्रकार के कीटाणु जनता के स्वास्थ्य के उपर प्रभाव पाडते हैं, जिससे कई प्रकार के रोग फेलते हैं। जिनका नाम तक सुनकर आजकल की भोलीभाली जनता को आश्चर्य होता हैं ओर वह कहने लगती है कि ये रोग तो पहले नहीं होते थे. लेकिन इनका मूल मात्र कारण है अर्द्ध पाश्चात्य व्यवस्था। वे कीटाणु हमारे भोजन तथा हवा द्वारा शरीर में प्रविष्ट होते हैं और हमारे स्वास्थ्य पर अपना प्रभाव डाल कर हमें रोगी बनाते हैं जिनके निवारणार्थ हमें कई प्रकार का उंची दवाइयें तथा उग्र मशीनों द्वारा जन्तुनाशक आविष्कारो की सहायता से इन जीवों का नाश किया जाता है। यह दूसरी हिंसा हुई । गटरों द्वारा मैल चाहे जितना दूर ले जाया जावे, लेकिन किसी खास स्थान में 'मल' के संग्रह से उन्पन्न जन्तु मानव समाज के उपर प्रभाव (effect) डालेविना रहते ही नहीं। प्रजा को आज की गटरोंसें स्वास्थ्यसम्बन्धी हानि अवश्य उठानी पडी हैं । पहिले के समान शारीरिक शक्ति अब नही रही हैं। और इसका प्रभाव भावी पीढी पर भी पडेगा ही। लेकिन आजकल हमारे उपर और हमारे दूसरे साथियों के उपर पश्चिमीय अनुकरण की ऐसी छाप पडी है कि आज हम इस समस्या पर विचार करते हे नहीं, लेकिन अगर कोइ कहे तो हम उसकी मजाक उडाने को Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220