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वीर देवके शासन में मनुष्य जन्म पाये हो तो यह तुम्हारी मुसाफरी सफळ कर लो । दश दृष्टांतसे मुश्केल पाये हुये मनुष्य जन्म फीर मीलना दुर्लभ है।
“काग उडावण काज प्रिय ज्यु डार मणि पछताया रे" जैसा वख्त आने न पावे । वास्ते उक्त तीन हर्को (विवेक) की कमिना हो तो, उन विवेकरूपी दोस्तकोजगाओ, और आत्महितार्थे भ्रष्टाचारको तिलांजली दे दो।
५५-५६-५७ भिन्नभिन्न तरहकी पार्टीए-यह पार्टीआं बहुधा रातका समयमं ही होती है। जिसमें जैनोको जानाहि अनुचित है, यह तो खुल्ली बात है । यह पार्टीआंमें भक्ष्यामक्ष्यका विवेक संमालने के लीये खास व्यवस्था नहि होती है। यह विवेक समालना अपवादरूप और अनिच्छाओंका विषय है। यह पार्टीआंका खाना बहुत भारी दामका होता है । एक रुपयेसें लगाके दोसोतककी एक एक डीश होती हैं। और उनमें जुठा भी बहुत छोड देते हैं, सिर्फ जमानेका मोह शिवा उनम कुच्छ भी फायदे के तत्त्व दिखने में नहि आते है। पुराने वख्त के सादे और अल्प खर्च एवं स्नेहभावनायें वगैरह अनेक सुतत्वोसें रचा हुआ भोजनो की बडी भारी टीकायें शुरु हो रही है। वह टीकायें सुधारा, वधारा, और परिवर्तन करानेवाली तो नहि है। ऐसे शब्दप्रयोगें तो निमित्त मात्र है, किंतु यह सादा भोजन व्यवहार के अलावा अबकी पार्टीआं
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