Book Title: Abhakshya Anantkay Vichar
Author(s): Pranlal Mangalji
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana

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Page 133
________________ १२४ वापरना । परंतु जिस ऋतु में वो अभक्ष्य है, तब वीलकुल काजु वापरना नहि । इतना जरुर ख्याल रखना. ५ (वीलायती) डिबेमें पेक कीया हुआ दूध-एवं-ने सल्स मील्क, मील्क मेइड मील्क, वगैरह दश बारहसें भी ज्यादा जात के नाम पर विक्री हो रही है। मुसाफरीमें, चहा बनाना हो, तो दूध के सबब वो डिबेमें से दूधका उपयोग कीया जाता है। सीसे में पेक की हुइ केरी, मुरब्बा, गुलकंद वगैरह और विलायती बीस्कीट आदि अभक्ष्य है। वास्ते जरुर उनका त्याग करना चाहिए। उनका उपयोग अपन न करें, तो भी ऐसी परदेशी-एवं देशी भी अभक्ष्य चीजों की प्रतिज्ञा करनी। जीससे आश्रव खुला न रहें । जक्तक हरेक चीजपरसें मूर्छा न गइ हों तबतक बराबर फल नहिंमीलता है । इसी लीए शास्त्रकार महर्षिओने कहा है की "मरू देशमें जैसे की तांबूल न मीले " तो भी प्रतिज्ञा नहिं करनेसें उन के त्याग का फल न पावें । वास्ते जरुर नियम करना । नेसल्स मील्क वगैरह जो विलायतसें आती है, वो प्रत्यक्ष अभक्ष्य है, उनकी विशेष विवेचन लिखनेकी जरुर नहिं है। बन्धुओं! अपने शरीर में रोग, शोक, दारिद्रय, दौर्बल्य वगैरहका बहुत प्रवेश हो गया है, उनका सबब यही तुच्छ भ्रष्ट चीजे वापरने का बदला है। क्यों की ." आहार वैसा ही औडकार" वो दृष्टांत से समज लेना। [अब अपने देश में भी परचुरन ताजा दूध मीलनेका Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

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