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- ५ बावीस अभक्ष्य के त्याग पर उपसंहार-- पुस्तकांतरमें बावीस अभक्ष्य निम्नोक्त है:पंचुंबरी चउ विगइ अणायफल-कुसुम हिम विस करे । महि अ राइभोयण घोलवड़ा रिंगणा चेव ॥१॥ पंपुट्टय सिंघाड़य वायंगण कायवाणिय तहेव ।। बावीस दव्वाई अभक्खणिआई सड्ढाणं ॥२॥
अर्थः-१ गूलर २ प्लक्ष ३ काकोदंबरी ३ बड और ५ पीपल । ये पांचजातिके फल । ६ मांस ७ मदिरा ८ मांखण और ९ मधु ये चार विकृति (महाविगई)-विकार करनेवाली विगइ । १० विना परिचय का फल ११ अपरिचित पुष्प १२ हिम (बरफ) १३ विष १४ करा १५ सचित्त मिट्टी १६ रात्रिभोजन १७ दहीवडे कच्चे, जो कच्चे गोरस के साथमें विदल मिश्र किये गये हों ९८ रींगणा १९ पंपोटा-(खसखसके डोडे ) [ खस खसका त्याग करना ] २० सिंगोडे [ जो कि अनंतकाय नहीं है तथापि कामवृद्धि जनक होनेसे तथा पानीमें होनेसे " जत्थ जलं तत्थ वणं" इसरीतिसे अनंतकाय सम्बन्धी होनेसे त्याग करने योग्य है ] २१ वायंगण (१) अने २२ कार्यवाणि (?)
पूर्व कहे गये बावीस अभक्ष्य के साथमें इस गाथा में के ११, १९, २०, २१, २२ नामवाले अभक्ष्य विशेष हैं। वो भी त्याग करना।
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