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३ से १०, काजुसें लगा के जरदालु तककी चीजेंयह सभी सुका मेवा है । और उनमें मिठाश है। वो फिका होजानेसें उनके अंदर वोही रंग के जीव पडतें है । यही कारनसें उन्हींको अभक्ष्य कहा जाता है. ताजी छुली हुइ बदाम ( बीगर छीलकेकी) और पीस्ते वोही दिन वापरने में काम आवे. लेकीन बदाम, पीस्तेका तैयार बी आतें है, वो काम में नहि आ सकते है । कीसमीस में बहुत दफा अपनी आंखोसे प्रत्यक्ष जीव देखा है. [ खुल्ली की हुइ बदाम आदि कितनेक मेवा अशाड चोमासा से दूसरे दिन अभक्ष्य होनेका प्रचार भी मालूम पडता है. ]
पीस्ते, चारोली - बहुत वेपारी पीछले वर्षका पडा हुआ माल बेचते है, तो खरीद करते वख्त बडी चालाकी से ख्याल पूर्वक वैसा पुराना मालका त्याग करके ताजी चीजें खरीदनी.
१३ सें १७ तक - तील, वगैरह फाल्गुन चातुर्मास पहले अपने लीए जरुरीआत जीतना माल खरीदना चाहिए। ओर उनको बराबर संभाल के रखना चाहिए. संमालने में गल्ती रे जावे, तो उनमें भी जीवोंकी उत्पत्ति हो जाती है, तीलकी चीकी, तीलके लड्डु, और तीलकी रेवडी वगैरहका भी त्याग करना जरुरी है । फाल्गुन महिने बाद तिलकी जरुर हो, तो पहिले सें गरम पानी में हीलाके नीचो करके सुका देने से जीवोंकी उत्पत्ति नहिं होती है.
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