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११ गिलोय (गुड़वेल)
१२ लसण १३ वांस करेली
१४ गाजर
१५ लुणी याने साजी वन
स्पति
१६ लोढ़ी पद्मिनी कंद १७ गरमर (गिरिकर्णी ) [कच्छदेश में प्रसिद्ध है ]
१८ किसलय पत्र
१९ खीरसुआकंद २० थेग
२१ हरिमोथ
२२ लुण वृक्ष की छाल २३ खीलोडा कंद
२४ अमृत वेली २५ मूळा
२६ भूमी फोडा
२७ बाथवे [बंधूला ] की भाजी
२८ विरूढाहार
२९ पलंकाकी भाजी ३० सुअर वल्ली
३१ कोमल आंबली
३२ आलू, रतालू, पिंडालू
१८ किसलय पत्र - कोमल पत्ते । जो केवल ऐसे बिल्कुल नये मुलायम निकलते हैं । तथा सब वनस्पतियों के निकले हुए अंकूर । ये सब अनंतकाय होते हैं। इस प्रकारकी उगती हुई वनस्पति उगती हुई अनंतकाय होती हैं । बादमें प्रत्येक वनस्पति के थड, पत्र, अंकूरा, अंतर्मुहूर्त पश्चात् प्रत्येक रूप हो जाती है । और सब जीव च्यव जाते है ।
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परन्तु, साधारण वनस्पति के थड, पत्रादि हमेशा अनंतकायपनेज रहती है । इन अनंतकाय पत्ते आदिका सर्वथा पच्चक्खाणकरने वाले [ अथवा कर लिया] हो, उन लोगोंने भाजी पत्त को उपयोग में लेते समय सावधानी से काम में लेना चाहिये ।
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