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क्योंकि दोष लगने की संभावना है । मेथी आदि की भाजी के नीचे के दो २ पत्ते अनंतकाय होते हैं। और वे दो पत्ते दूसरे पत्तों की बजाय जाड़े होते हैं । साथ साथ वे कोमल भी होते हैं। और भाजी में अनेक प्रकार के अनंतकाय के पत्ते शामिल हो जाते हैं। इससे भाजी काममें लेते समय बराबर ध्यान देकर जरुर देख लेना चाहिये, नहीं तो दोष लगता है।
१९ खीरसुआकंद--कसेरु ( खरसइयो); २० थेग -कंदथेगी तथा थेग नामकी भाजी, थेगीपोंक; २१ हरिमोथ (लीलीमोथ); २२ लुग वृक्षकी छाल; २३ खिलोड़ा कंद २४ अमृतवेली।
२५ मूळा-देशी तथा विदेशी (लाल और सफेद) मूले के पांचो अंग अभक्ष्य हैं ।
(१) मूलाका कंद ( कांदा.)
(२) पत्तों के मध्यभागमं जो कंदकी थाप है। जिसको डांडली कहते हैं, वो पत्ते सहित अभक्ष्य है।
(३) फूल (४) फल, जिसको मोगरा कहते हैं वो, तथा(५) उसमें से निकले हुए बारीक बीज.
ये पांचो अभक्ष्य हैं । और इनमें त्रस जीवोंकी भी उत्पत्ति हो जाती है। इससे मूले के पांचो अंगका त्याग करना.
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