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प्राप्त हो जाय.[आज कल के जमाने में सरकारी स्कूल के पढ़ने वाले विद्यार्थी, स्कूल बन्द होते ही क्रीकेट खेलने को जाते है. और उनको अवश्यमेव देरी होजाने से रात्रि भोजन करना पड़ता है । जैन बॉर्डिंग वगेरे में जहां नियम होता है, वहां जल्दि आना पड़ता है. व खेल बन्द रहता है. और शाम को भोजन करने के बाद उपर बताये मुताबीक क्रीकेट वगैरह खेलना नुकशान कारक है। इस विषय में कितनेक लोग जैन विद्यार्थीयों को रात्रि भोजन की इजाजत दिलाने बाबत शिफारिश करते है। खेल के साथ लाभ जरूर होता है। परन्तु रात्रि भोजन करने से मानसिक शारीरिक को अधिक नुकशान होता है. वो सहन करना पड़ता है । यानी दो में से एक लाभ उठा सकते हैं। रात्रि भोजन के त्याग का फायदा जैन विद्यार्थीयों को उठाने के लिये क्रीकेट वगैरे खेल को बन्द करके प्रातःव्यायाम वगैरे की व्यवस्था कर देना चाहिये. जिसे दोनो प्रकार के लाभ हो सकें। गर्मी की ऋतु में दीन बडा होनेसें बहुत समय रहता है. इस लिये जितनी देर खेल खेलना हो, वो खेल सकते है. शक्ति से ज्यादा व्यायाम करने से शरीर को हानिकारक होता है, जैसे "अर्ध-बलेन व्यायमः" यह आयुर्वेद का वाक्य है. और एक युरोपियन लेखक के लेख पर से भी यह बात सिद्ध होती है। वर्तमान समय में जगह २ बड़ी २ हास्पिटाले है, लेकिन प्रजा आरोग्यता में रहे, ऐसा पूर्ण ध्यान कोई नहीं देते. जिसे प्रजा की तन्दुरस्ती बिगड़ रही है।
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