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છૂટ
अगर निकाला जाय, तो उपयोग पूर्वक गीले हाथ को साफ करना चाहिये। नहीं तो पानी का एक बिन्दु गिरने पर जीवोत्पत्ति हो जाती है । इस लिये इस विषय में खास ध्यान रखना चाहिये ।
(४) अचार की बरनीयों के उपर चिंटा चिंटी वगैरा जीव नहीं चढ़े, ऐसी जगह रखना चाहिये. व वर्षा ऋतु म हवा न लगे ऐसे स्थान पर रखना चाहिये. कितनेक लोग अचार, मुरब्बा वगैरह अंधियारे में रखते है, वहां निकाल वक्त उनका रस प्रमुख जमीन पर गिरने से वो जगह चिकनी व गंदी हो जाती है. जिससे मच्छरादि जीव चिपक जाते है. और बरनीयोंका मुंह खुला रहने से उसमें भी गिर के मर जाते है । फिर वो कलेवर पेट में आते है. जिससे भयंकर बीमारी पैदा होती है. इसीलिये जहां अच्छा प्रकाश पड़ता हो, व जगह साफ हो, वहां रखना चाहिये.
(५) अचार को मामुली रूपमें सुखाया हो, तो वो अचार तीन दिन से ज्यादा काम में नही ले सकते, वास्ते उपर बताये मुताबिक सुखाना चाहियें । साथ यह भी बात बतलाई जाती है, की - अचार बनाते वक्त पानीका जरा भी स्पर्श नहीं होना चाहिये ।
(३) ऐसे अचार की मुदत एक वर्ष से ज्यादा है.
१ अचार सरसों के तेल में इस मुताबिक डाला जाय की डाली हुई चीजें डुबी हुई मालूम होवे |
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