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विषय-सूची क्रमांक
विषय १ विशीर्ण-दोषाशय-पाश-बन्धादि विशेषण-विशिष्ट वीर___ जिनको अपना स्तुति-विषय बनानेकी कामना। १ २ लौकिक स्तुतिका स्वरूप और वैसी स्तुति करनेमे अपनी
सकारण असमर्थता, तब कैसे स्तुति करे यह विकल्प। २ ३ भक्तिवश धृष्टता धारण करके शक्तिके अनुरूप वाक्योको
लिए हुए स्तोता बननेकी अभिव्यक्ति और उसका कारण। ... ... ४ वीर-जिन अतुलित शान्तिके साथ शुद्धि और शक्तिके उदयकी पराकाष्टाको प्राप्त हुए है, इसीसे ब्रह्मपथके नेता
और महान है, इतना बतलाने और सिद्ध करनेको अपनेमे सामर्थ्यकी घोषणा। .. .. ५ वीर-शासनमे एकाधिपतित्वरूप लक्ष्मीका स्वामी होनेकी
शक्ति और उस शक्तिके अपवादका अन्तबाह्य कारण। ४ ६ वीर-शासनका दया-दम-त्यागादिरूप स्वरूप और उसके ।
अद्वितीयत्वकी विज्ञापना। ... ७ वीर-शासनका वस्तुतत्त्व परस्पर तन्त्रताको लिए हुए
अभेद-भेदात्मक है। अभेद और भेद दोनोको स्वतन्त्र माननेपर प्रत्येक आकाशके पुष्प-समान अवस्तु हो
जाता है। . ८ अन्य शासनानुसार समवायवृत्ति जब स्वयं अवृत्तिमती है तो उससे ससर्गकी हानि होती है-किसी भी पदार्थका सम्बन्ध एक दुसरेके साथ नही बनता-और ऐसा होनेसे