Book Title: Vidhi Marg Prapa
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
View full book text
________________
10
15
20
25
30
१८
विधिप्रपा ।
atest read उवीसथओ वि जं विणिद्दिट्ठो । आवस्सयाउ न पिहो जुज्जइ ता तेसिमुवहाणं ॥ २७ ॥ आवस्स ओवहाणे ताणुवहाणं कथं समवसेयं ।
Jain Education International
ओवहाणे य पिहो तक्करणे होइ अणवत्था ॥ २८ ॥ roup उत्तरमिह नवकारो आइमंगलत्तेणं । बुच्चइ जया तयचिय सामइयऽणुप्पवेसो से ॥ २९ ॥ जया य सयण भोयणनिज्जरहेउ' पढिज्जए एसो । तया सतत एव हि गिज्झइ अन्नो सुयक्खंधो ॥ ३० ॥ इह-परलोयत्थीणं सामाइय विरहिओ वि वावारो । दीसह नवकारगओ तदत्थसत्थाणि य बहूणि ॥ ३१ ॥ नवकार पडल- नवकारपंजिया - सिद्धचक्क माईणि । सामाइयंगभावो इमस्स गंतिओ तम्हा ॥ ३२ ॥ पढमुच्चारणमित्ते विणुष्पवेसो हविज्ज सामइए । एयस्स सनहा जइ ता नंदणुओगदाराणं ॥ ३३ ॥ तदणुष्पवेसओ च्चिय तवचरणं नेय जुज्जइ विभिन्नं । दीसइ य कीरमाणं जोगविहीए य भन्नंतं ( भिन्नत्तं ) ॥ ३४ ॥ किं वा भिन्नते सहा वि सामाइयाउ एयस्स । arrr पंचमंगल मिचाई अणुचियं वयणं ॥ ३५ ॥ इय भेयपक्खमणुसरिय जइ तवो कीरई नमोकारे । ता को दोसो नंदणुओगद्दारेसु व हविज्ज || ३६ ॥ इरियावहियाईयं सुयं पि आवस्सयस्स करणम्मि । अणुपविसइ तम्मितयन्नया य भिन्नं हि तेणेव ॥ ३७ ॥ भत्ते पाणे सयणासणाइसुत्तं पि जायइ कयत्थं । तिन्न वि कडइ तिसिलोइयत्थुइच्चाइसुत्तं पि ॥ ३८ ॥ आवस्सए पवेसो जइ एसि सङ्घहावि य हविज्ञ । तो पिढणं एसि सबेसिं कह घडिज त्ति ॥ ३९ ॥ जं च इयरेयरासयदू सणमेवं च बुच्चर इमाण । पाढेण विणा ण तवो तवं विणा नेसिं पाढो ति ॥ ४० ॥ तं पहु असणं जह पवइउमुवट्टियस्सऽणुन्नायं । सामाइयाइयाणं आलावगदाणमतवे वि ॥ ४१ ॥ एवं जइ पढिए वि नवकाराईसु ताणमुवहाणं । सविसेस गुणनिमित्तं कारिज्जइ को णु ता दोसो ॥ ४२ ॥ foresari पि कारिजइ मुक्खदंडयाइतवं । हु सत्थुत्तं पि निसिज्झह उवहाणं ही महामोहो ॥ ४३ ॥
1 A. निज्जराहेऊ । 2 B दारेण ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186