Book Title: Vidhi Marg Prapa
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 161
________________ प्रतिष्ठाविधि । तो वंदना देवे पट्ठदेवी कायउस्सग्गं । दिज थुई तीए चिय ठविज पुरओं उ घयपत्तं ॥ २५ ॥ सोवण्णवहियाए कुज्जा महसक्कराहिं भरियाए । कणगसलागाए बिंबनयणउम्मीलणं लग्गे ॥ २३ ॥ सम्मं पट्ठमंतेण अंगसंघीणु अक्खरन्नासं । कुणमाणो एगमणो सूरी वासे खिविज्ज तहा ॥ २७ ॥ पुष्फक्खयंजलीहिं तो गुरुणा घोसणा ससंघेणं । furत्थं कreat मंगलसद्देहिं बिंबस्स ॥ २८ ॥ जह सिद्ध-मेरु-कुलपव्वयाण पंचत्थिकाय- कालाणं । इह सासया पइट्ठा सुपरट्ठा होउ तह एसा ॥ २९ ॥ जह दीव - सिंधु - ससहर- दिणयर-सुरवास - वासखित्ताणं । इह सासया पट्ठा सुपइट्ठा होउ तह एसा ॥ ३० ॥ इत्थं सुहभावक अक्खयखेवे कयंमि बिंबस्स । सविसेसं पुण पूया किच्चा चिइवंदणा य तहा ॥ ३१ ॥ मुहउघाडणसमणंतरं च पूयाह समणसंघस्स । फासुघय - गुड-गोरस-णंतगमाईहिं कायवा ॥ ३२ ॥ सोहादि य सोहग्गमंतविन्नासपुत्रयमवस्सं । मयणहलकंकणं करयलाओं बिंबस्स अवणिज्जा ॥ ३३ ॥ जिबिस य विसए नियनियठाणेसु सङ्घमुद्दाओ । गुरुणा उवउत्तेणं पउंजियधाओं ताओं इमा ॥ ३४ ॥ जिणमुद्दकलस० जिणमुद्दाए० कलसाए० आसणयाए० गरुडाए० विधि० १५ .... Jain Education International **** **** .... **** 0000 .... .... **** .... .... ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ गाहा ॥ ३५ ॥ गाहा ॥ ३६ ॥ गाहा ॥ ३७ ॥ गाहा ॥ ३८ ॥ गाहा ॥ ३९ ॥ घोसिए अमारी दीणाणाहाण दिज्जए दाणं । पणीकिज्जइ वंसो धयजुग्गो सरलसुसिणिद्धो ॥ ४० ॥ sarovar yesो कीडएहिं अक्खद्धो । अहो वण्णो अणुसुक्को पमाणजुओ ॥ ४१ ॥ काऊण मूलपरिमाण्हाणं चाउद्दिसं च भूसुद्धिं । दिसिदेवय आहदणं वंसस्स विलेवणं तह य ॥ ४२ ॥ अहिवासियकुसुमारोवणं च अहिवासणं च वंसस्स । मयणफलरिद्धिविद्धी सिद्धत्धारोवणं चैव ॥ ४३ ॥ ॥ इति प्रतिष्ठाविधिः ॥ For Private & Personal Use Only ११३ 16 18 20 15 20 www.jainelibrary.org

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