Book Title: Vidhi Marg Prapa
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 186
________________ खरतरगच्छआचार्यपट-परम्परा ऋ आचार्य का नाम स आचार्य का नाम 1. श्री वर्द्धमानसूरि 20 श्री जिनसमुद्रसूरि 2. श्री जिनेश्वरसूरि 21 श्री जिनहंससूरि 3. श्री जिनचन्द्रसूरि 22 श्री जिनमाणिक्यसूरि 4. श्री अभयदेवसूरि 23 युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि (चतुर्थ दादा) 5. श्री जिनवल्लभसूरि 24 श्री जिनसिंहसूरि 6. युगप्रधान जिनदत्तसूरि (प्रथम दादा) 25 श्री जिनराजसूरि (द्वितीय) 7. मणिधारी जिनचन्द्रसूरि (द्वितीय दादा) 26 श्री जिनरत्नसूरि 8. श्री जिनपतिसूरि 27 श्री जिनचन्द्रसूरि 9. श्री जिनेश्वरसूरि (द्वितीय) 28 श्री जिनसुखसूरि 10. श्री जिनप्रबोधसूरि 29 श्री जिनभक्तिसूरि 11. श्री जिनचन्द्रसूरि 30 श्री जिनलाभसूरि | 12. श्री जिनकुशलसूरि (तृतीय दादा) 31 श्री जिनचन्द्रसूरि 13. श्री जिनपद्मसूरि 32 श्री जिनहर्षसूरि 14. श्री जिनलब्धिसूरि 33 श्री जिनसौभाग्यसूरि 15. श्री जिनचन्द्रसूरि 34 श्री जिनहंससूरि 16. श्री जिनोदयसूरि 35 श्री जिनचन्द्रसूरि 17. श्री जिनराजसूरि 36 श्री जिनकीर्तिसूरि 18. श्री जिनभद्रसूरि 37 श्री जिनचारित्रसूरि 19. श्री जिनचन्द्रसूरि 38 श्री जिनविजयेन्द्रसूरि खरतरगच्छ कीशाखाएं:1. मधुकर शाखा, 2. रुद्रपल्लीय शाखा, 3. लघुखरतर शाखा, 4.बेगड़शाखा, 5. पिप्पलक शाखा, 6. आद्यपक्षीय शाखा, 7. भावहर्षशाखा 8. आचार्य शाखा, 9. जिनरंगसूरि शाखा, 10. मण्डोवरी शाखा उपशाखाएं:1. क्षेमकीर्ति शाखा, 2. जिनभद्रसूरि शाखा, 3. सागरचन्द्रसूरिशाखा 4. कीर्तिरत्नसूरिशाखा 5. श्रीसारशाखा संविग्नपक्षीय साधु- परम्परा :1. महोपाध्याय क्षमाकल्याण वर्तमान में संविग्नपक्षीय तीनसाधुसमुदाय (परम्पराएं) हैं:1. श्री सुखसागरजी समुदाय, 2. श्री मोहनलालजी समुदाय 3. श्री जिनकृपाचन्द्रसूरिजी समुदाय Jain ES www.jainelibrary.org

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