Book Title: Vidhi Marg Prapa
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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विधिप्रपा ।
बीए पढमुद्देसो खंदो तइयम्मि चमरओ बीओ । गोसालो पनरसमो पण पण तिग हुंति दत्तीओ ॥ २७ ॥ एया सभत्तपाणा पारणगदुगेण होयणुण्णवणा । खंदाईण कमेणं वोच्छामि विहिं अणुण्णाए ॥ २८ ॥ चमरंमि छट्टजोगो विगईए विसजणत्थमुस्सग्गा । अट्ठमजोगो लग्गह गोसालसए अणुष्णाए ॥ २९ ॥ पनरसहिं कालेहिं पनरसदियहेहिं चमरणुण्णाए । लग्गह य छट्ठजोगो पणनित्रिय अंबिलं छटुं ॥ ३० ॥ अउणावण्णदिणेहिं अउणावण्णा वावि कालेहिं । अहमजोगो लग्गइ अट्ठमदियहे निरुद्धं च ॥ ३१ ॥ चोद्दस १६ सत्तरस १७ तिण्णि उ दस उद्देसाइ २० तह असी २१ सट्ठी २२ । पन्नासा २३ चवीसा २४ बारस २५ पंचसु य इक्कारा ३० ॥ ३२ ॥ अट्ठावीसा दोसुं ३२ चउवीससयं च ३४ पणसु बत्तीसं ३९ । दोणि सया इगतीसा ४० चरिमसए चेव छन्नउयं ४१ ॥ ३३ ॥
बंधी २६ करिसुगनामं २७ कम्मसमजिणण २८ कम्मपवणं २९ । ओसरणं समपुत्रं ३० उववा- ३१ उवहणसयं च ३२ ॥ ३४ ॥ एगिंदि ३३ तह सेढी ३४ एगिंदिय ३५ बेइंदियाण समहाणं ३६ । तेइंदिय ३७ चउरिंदि ३८ असण्णिपणिमिह सहिया ३९ ॥ ३५ ॥ एएस सतहं जुम्मसयदुवालसाणि नेयाणि । आइदुगजम्मवज्जं सन्निमहाजुम्मि य सयाणि ॥ ३६ ॥ एयाई इकतीसं ४० चरमं पुण होइ रासिजुम्मसयं ४१ । पणवीसइमा आरा अभिहाणारं वियाणाहिं ॥ ३७ ॥ इत्थ उत्थम्मि सए अहुद्देसा दुहा उ कायचा । अट्ठमसयवोलीणे सो वि हु विसमयाई वि ॥ ३८ ॥ दोमास अद्धमासे विहिणा अंगे इमम्मिऽणुण्णाए । नामवणं कीरह पुणरवि तह कालसज्झायं ॥ ३९ ॥ असुहभवक्खयहेऊ अचंतं अप्पमत्तपियधम्मा । पुरंति परियायं जावसमप्पंति कहवि' दिणा ॥ ४० ॥ सहा वो होइ इमं तह सुयानुसारेणं । आयारेऽणुण्णा केई आलंबणारया ॥ ४१ ॥ सोहणतिहि-रिक्खाइसु विउलेसण-निरुवसग्गि खित्तम्मि । उक्विणमाइजोगाण काहि किचं निरवसेसं ॥ ४२ ॥
1 'कहिय' A टिप्पणी ।
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