Book Title: Vidhi Marg Prapa
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 114
________________ ६६ विधिप्रपा। अ-म् । अ-उ-म्-न-अ-म्-ओ-स्-अ-अ-स्-आ-हु-ऊण्-अ-म् । अ-उ-म्-न्-अ-म्-ओ-अ-उ-ह-इ-ज्-इ-ण्अ-अ-ण्-अ-म् । अ-उ-म्-न्-अ-म्-ओ-प-अ-र-अ-म्-ओ-ह-इ-ज्-इ-ण्-अ-अ-ण-अ-म् । अ-उ-म्-न्-अम्-ओ-म्-अ-व्-ओ-ह-इ-ज्-इ-ण्-अ-अ-ण्-अ-म् । अ-उ-म्-न्-अ-म्-ओ-म्-अ-ण्-अ-म्-त्-ओ-ह-इ-ज्-इण्-अ-अ-ण्-अ-म् । उवयारो सो चेव । संघपूयाइमहूसवाहिगारो एत्थ सावयाणं ति । ॥ उवज्झायपयट्ठावणाविही समत्तो ॥ २८ ॥ ६७०. इयाणि आयरियपयट्ठावणाविही भण्णइ । आयार-सुय-सरीर-वयण-वायणा-मइपओग-मइसंगहपरिण्णारूवअट्ठविहगणिसंपओववन्नस्स देस-कुल-जाइ-रूवी-इच्चाइगुणगणालंकियस्स बारसवरिसे अहिन्जिय सुत्तम्स बारसंवरिसे गहियत्थसारस्स बारसवरिसे लद्धिपरिक्खानिमित्तं कयदेसदसणस्स सीसस्स लोयं काउं पाभाइयकालं गिण्हिय, पडिक्कमणाणंतरं वसहीए सुद्धाए कालग्गाहीहिं काले पवेइए अंगपक्खालणं काउं, दाहि॥णकरे कणयकंकणमुद्दाओ पहिरावित्तु, चोक्खनेवत्थं पंगुराविज्जइ । पसत्थतिहि-करण-मुहुत्त-नक्खत्त-जोगलग्गजुत्ते दिवसे अक्ख-गुरुजोगाओ दुन्नि निसिज्जाओ पडिलेहिज्जन्ति । सीसो गुरू य दुन्नि वि सज्झायं पट्टविंति। पट्टविए सज्झाए जिणाययणे गन्तूण समवसरणसमीवे दुन्नि वि निसिज्जाओ भूमि पमजित्तु संघट्टियाओ धरिज्जन्ति । तओ गुरू सूरिमन्तेण चंदणघणसारचच्चियअक्खाभिमंतणे कए निसिज्जाओ उट्टित्ता, सूरिपयजोगं सीसं वामपासे ठवित्ता, खमासमणपुवं भणावेइ -'इच्छाकारेण तुब्भे अम्हं दव-गुण-पज्जवेहिं अणुओगअणु15 जाणावणत्थं वासे खिवेह' । तओ गुरू सीसस्स वासे खिवेइ, मुद्दाओ सरीररक्खं च करेइ । तओ सीसो खमासमणं दाउं भणइ -'इच्छाकारेण तुब्भे अम्हं दव-गुण-पज्जवेहिं चउबिहअणुओगअणुजाणावणत्थं चेइआई वंदावेह' । तओ गुरू सीसं वामपासे ठवित्ता वध्रुतियाहिं थुईहिं संघसहिओ देवे वंदइ । संतिनाह-संतिदेवयाइ आराहणत्थं काउस्सग्गं करेइ । तेसिं थुईओ देइ । सासणदेवयाकाउस्सग्गे य उज्जोयगरं चउक्वं चिन्तई । तीसे चेव थुइं देइ । तओ उज्जोयगरं भणिय, नवकारतिगं कड्डिय, सक्कत्थयं भणित्ता, पंचपर20 मेट्टित्थवं पणिहाणदंडगं च भणति । तओ सीसो पुतिं पडिलेहित्ता दुवालसावत्तवंदणं दाउं भणइ -'इच्छा कारेण तुब्मे अहं दव-गुण-पज्जवेहिं अणुओगअणुजाणावणत्थं सत्तसइय नंदिकड्डावणत्थं काउस्सग्गं करावेह । तओ दुवे वि काउस्सगं करेंति सत्तावीसुस्सासं, पारिचा चउवीसत्ययं भणंति । तओ सीसो खमासमणं दाउं भणइ -'इच्छाकारेण तुब्भे अहं सत्तसइयं नंदि सुणावेह । तओ सूरी नमोक्कारतिगपुवं उद्घट्टिओ नंदिपुत्थियाए वासे खिवित्ता, सयमेव नंदि अणुकड्लेइ । अन्नो वा सीसो उद्धढिओ मुहपोत्तियाठइयमुहकमलो " उवउत्तो नंदि सुणावेइ । सीसो य मुहपोत्तियाए ठइयमुहकमलो जोडियकरसंपुडो एगग्गमणो उद्घट्ठिओ नंदि सुणेइ । नंदिसमत्तीए सूरी सूरिमंतेण मुद्दापुवं गंधक्खए अभिमंतेइ । तओ मूलपडिमासमीवं गुरू गंतूण पडिमाए वासक्खेवं काऊण, सूरिमंतं उद्धट्ठिओ जवइ । ततो समवसरणसमीवमागम्म नंदिपडिमाचउक्कस्स वासे खिवेइ । तओ अभिमंतिय वासक्खए चउविहसिरिसमणसंघस्स देइ । तओ सीसो खमासमणं दाउं भणइ -'इच्छाकारेण तुब्मे अम्हं दव-गुण-पज्जवेहिं अणुओगं अणुजाणेह' । गुरू भणइ --'अहं एयस्स " दध-गुण-पज्जवेहिं खमासमणाणं हत्थेणं अणुओगं अणुजाणामि' । सीसो खमासमणं दाउं भणइ -'इच्छाकारेण तुम्भेहिं अम्हं दध-गुण-पज्जवेहिं अणुओगो अणुण्णाओ'- एवं सीसेण पण्हे कए गुरू भणइ -'खमासमणाणं हत्थेणं सुत्थेणं अत्थेणं तदुभयेणं अणुओगो अणुण्णाओ ३ । सम्मं धारणीओ, चिरं पालणीओ, अन्नसिं च पवेयणिओ'- इति भणंतो वासे खिवेइ । तओ सीसो-खमासमणं दाउं भणइ -'तुम्हाणं पवेइयं, संदिसह . 1A बारिस। 2 B गेण्डिय। 3 चिंतति। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186