Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 23
________________ १९ रा०-२० जी० २१| प्रज्ञा०२२ ॥२१॥ काले अपहुप्पते .., कालण्णाणं f० केरिसरहिं . काले णं भंते ! कुमारे l, य महाकाले सूर्य०२३ चं०/२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ RAJXXXXXXXTANTRA ,, सुरूवपुण्णे कालो परमनिरुज्जो कालोयं णं समुई किच्छाहिं पावियम्मियि किच्छाहिं पाविउ जे किण्हं राहुविमाणं २७-३३३ किण्हा नीला लोहिअ २७-१९७९ | किं तं पंडियमरणं २७-१५१६ २५-३४ कित्तिअमित्तं वण्णे २७-५३७ , तु महिलाण तासि २७-३९५ २६-९सू० | कित्तिया य विसाहा य २७-८८२ ,, पुण अणगार० २७-१७८६ २६-१९सू० कित्तियाहि विसाहाहिं २७-८७१ , पुण , २७-२१५ | कित्तीगुणगब्भहरं २७-१२३९ , पुण . २७-१५०७ २७-९९७ | किन्नरकिंपुरिसे खलु २२-१५१ , पुण अणगारसहायगेहिं २७-६९८ २७-२००५ २७-९९८, , पुण तरुणो अबहुस्सुओ २७-७७४ २७-५०४ | किमाइआ णं० संवच्छरा २५-१५५सू० |, पुण सपञ्चवाए २७-४९३ २१-१७७सू० | किमिकुलसयसंकिण्णे . २७-५३८ ।, पुत्तेहि पियाहि व २७-५७८ २७-१३०६ | किमिरासिभद्दमुच्छा २२-५२ | कीरह बीअपएणं २७-७९५ २७-१८३९ | किसिपारासरढंढो २७-१७३२, कुग्गहपरूढमूलं २७-३२८ २१-६८ | किर ताव घरकुडीरी २७-५३५ | कुरुदत्तोवि कुमारो २७-६७१ २४-७२ | किं इत्तो लट्टयरं .२७-१३७९ | कुरु मंदर आवासा २२-२२६ २७-२०७१ | किं च तं.नोवभुत्तं कुलगामनगररजं २७-७३३ २७-२०४ | ,, चित्तं जइ नाणी २७-१७४१ कुल्लइरमित्र य दत्तो '२७-१७२६ २७-१९१९ |, जायं जइ मरणं २७-१७८८ कुल्लुउरमि पुरवरे २७-६५७ २७-१४९५ , तं पंडियमरणं २७-२२४ | कुंभारकडे नगरे किण्हा नीला काऊ

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