Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 33
________________ सूय०१२३ | चं०/२४ जं. २० नि० २६ प्रकी०२७ औ०१९ जंबुद्दीवेणं० जहाणपए २५-१७६सू० जंवृदीवे णं भंते! कयरे० २१-१९७सू० जा काइ पत्थणाओ २७-१९८ रा० ताराप०अबाहाए २५-१७१सू० ,, , मंते! मंदर० २१-१९६पू० , , , जी० २१ , तारारुवस्स २१-२०२सू० जं मणवयकाएहिं २७-५४ , तस्स खमा तइया २७-१६६९ प्रज्ञा०२२ ,, भरहे वासे० सु० २५-२०स० 1, रागदोसमइ २७-६३६ 1, पुव्वभाचिया किर २७-१४०७ , भरहप्पमाण. २५-१२६सू० जंवित्थीओ पभासंति २७-९१७ जामद्धं जाम दिण पक्ख० २७-७१२ ,, भारहेछ काले : २५-१८सू० जं सग्गहम्मि कीरइ जायमाणस्स जं दुक्खं २७-४७२ ,, मंदरस्स पचय०२५-१३२सू० 1, संठाणं तु इहं जायमित्तस्स जंतुस्स २७-४७९ .. सूरिआ उदीण०२५-१५१सू० " " "" २२-१६२ | जावइआई दुक्खाई २७-३६९ ,,, उग्गमण २५-१३७सू० , " "" २७-१२१० जावइआ किर दोसा २७-३८३ २५-१३८सू० , सासयसुहसाहण०२७-२८१ जावइयं किंचि दुई २७-१६३८ , सूरिआणं० कि०२५-१३७सू० |, सीसंपूरउत्ति २७-५४८ जावइयंमि पमाणमि २५-४३ ,, सूरिआ० खत्तं २५-१४०सू० 1, सुचिरेणवि होहि २७-१६०५ जावजीवं तिविहं . २७-३९८ , मंदरस्स० चंद०२५-१४७सू० जाई मोग्गर तह जूहिया जाव य खेमसुभिक्खं २७-१३९० २२--२०४ जाउलगमीलपरिली २२-२५ ,, ,, जंबुद्दीवो २७-९८० जा एस सत्तमी साउ २७-८५१ | ,, ,, सुई न नासह २७-१३८९ ,, , सव्व० सूरमंडले २५-१३३सू० | जाओ परव्वसेणं २७-१६०९ | जावंति केद ठाणा २७-१४२७ MERIजंबूए णं सुदंसणाए २१-२५३सू० । जाओवि अ इमाओ २७-२०सू० |, , दुक्खा २७-६८७ , लवणे ॥३१॥

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