Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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औ० १९
रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२
॥ ५७ ॥
BAALACES
भत्तपरिनामरणं दुविहं भक्तिं च कुणसु तिव्यं भदं सुबहुसुयाणं भयव केहिं लिंगेहिं
भरहस्स चत्तारि एगिंदि०
२५-६९सू०
भरहे अ इत्थ देवे महिड्डीए २५-७२सू० भवगणभमणरीणा भवण० इसिवालिय०
भवण० कप्पवईणवि raat दो इंदा भवणवइविमाणवणं भवणवइवाणमंतर
"
२७-२८५
२७-३२९ २७-१३७८ २७-७१८
33 33
भवण० सव्विड्डी परिय० भवणेहिं व वजेहि य भवसय सहस्सदुलहे . भवसंसारे सव्वे.
२२-२५२०
भवसिद्धिए णं पुच्छा भंजिय परीसहचमू
२७-६१०
13
मंतेत्ति० काले णं भंते कुमारे २६-८सू० दिव्या देविड्डी० कहिं० २०-२६सू० भालुकीए करणं भावनमुक्कारविवज्जिआई
२७-४३५ २७-३५४
२७-३३९
भावाणुरायमाणु य० भाविज्ज भावणाओ
२७- १८७४ | भूयत्थेणा हिगया २२-२४७सू०
भेदविसय संठाणे
२२-१८१
भोगंकरा भोगवई भोगाणं परिसंखा
२७-२७७ २७-१२३२ २७-११२७ भासणं पुच्छा
२७-९४३ भास गपरित्तपजत्त
२७-९७१
२७-१०९०
२७-११२२ २७- १२३२ २७-१८११ भासुरसुवन्नसुंदर २७-१४४० भिक्खाचरणत्ताणं २७- १८४ | भणिभणिभणतसई
२२-२१२
२२-१९२
भासाकओ य पभवति भासा णं भंते किमादीआ ४२२-१६५सू० भासासरीरपरिणाम
भिन्नमुहुतो नरपसु भिनिदियपंचिंदिय
भिंगा भिंग्गप्पभा चैव भुत्तणवि भोगसुहं भुयगपुरोहियडक्को भूईगहणं जह नक्कयाण भूए अस्थि भविस्संति
भोजवणयराणं
उए निहुअसहावे मए कयं इमं कम्मं मगतिहिहि तोअं - २७-८७७ ममि बंधवाणं २७-५६१ | मज्झे अहस्स
२२-७ २७-४८
२१-१५
२७-१६१८ २५-५०
२७-१६२७
२७-१७४७
२७-५८९
२७-७४५
२२-१२१
२२-२२३
२५-७०
२७-६८
२७-१२३५
२७-७८२
२७-२५७
२७-३३५
२७-१८१९
२५-२
१२३
चं० २४
जं० २५ नि० २३
प्रकी०२७
॥ ५७ ॥

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