Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 70
________________ औ०१९ रा० २०॥ जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥६८॥ सीवणं तुन्नणं भरणं सीसघडीनिग्गालं सीसोऽवि वेरिओ सीहे कुडुबयारस्स सुअधम्मसंघसाहु सुअणाणसागराओ सुक्कम्मि सोणियम्मि य २७-२२२१ नि० २६ सुगहियसावगधम्मा सुगिहियजिणवयणामय सुचिरमवि संकिलिट्ट सुज्झइ दुक्करकारी २७-८२२ सुणह गणिए दस दस २७-४४९ सुयसागरा विणेऊण २२-४प्र० २७-५४५ सुणह जह जिणवयणा० २७-१८९५ सुरगणइड्डिसमग्गा २७-१२३० २७-७२७ | , सुयसारनिहसं २७-१२३७ २५ सुरगणसुहं समत्तं. २२-१७२० २७-५७३ सुदंसणा अमोहा य २२-५२ २७-५२ २१-२७ सुविहिअगुणवित्थारं २७-६०७ प्रकी०२७ २७-९४० २७-११०९ । सुविहिअनिज्झाए २७-३३० २७-१९सू० । सुदिट्टेण निमित्तेणं २७--९१६ | सुविहिय ! अईयकाले २७-५३२ | सुद्धं मि अ सोहणगे २५-(५०९टी०) २७-६८४ सुद्ध सुसाहुमग्गं २७-७४१ सुविहिय ! इमं पइण्णं २७-१२५६ २७-१६८७ | सुद्ध सम्मत्ते अविरओऽवि २७-३४२ सुब्वंति य अणगारा २७-१७८२ २७-१२८८ | सुबहुस्सुयावि संता २७-१२९० सुसीमा कुंडला चेव २७-२२८ | सुबहुंपि भावसल्लं २७-१४६० सुहपरिणामो निच्चं २७-५९ २७-१५२० २७-१५८ सुहुमस्स णं भंते !० अंतरं २१-२३३सू० २७-३९२ | सुभद्दा य विसाला य २१-२८ , ,,, ठिती० २१-२३१सू० २५-५३ सुहुमंपि भावसल्लं २७-१३३३ २७-१२४६ | सुयदिट्ठिवायकहियं । २७-१७५५ | सुहुमे णं भंते ! सुहुमेत्ति २६-२३२सू० २७-९४१ / सुयरयणनिहाणं २२-२ ,, सुहुमित्ति० पुढ विकालो२२-२५०सू० सुट्टवि जिआसु सुट्टवि , मग्गिजंतो सुण जह पच्छिमकाले सुण वागरणावलियं

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