Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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औ० १९ रा०
२०
जी० २१ प्रज्ञा०२२
॥ ७० ॥
से कि दिसंसार०
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थलयरपंचिं०
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" " " थलयरसमु० थलयरा
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" " " थावरा
देवा
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25 99 99
33 99 99
२२- २८० दियाओवहया २१-३०० तेऊकाइया
२१-२४सू०
२२- १७०
२२-३४सू० २१- ३७सू० २१- ४०सू० २१-१०सू० २२- ३८सू० २१-४३सू०
२१-११५०
२१- ३३०
२१-६७सू०
२२-३६सू०
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33
नेरइया
23
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'पत्तेयसरीर०
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पन्नवणा
२२-२२०
२१-२१स्० २२-१०
से किं तं परंपरसिद्धअसंसा० २२-८० परिसपथल० २२- ३५० पंचेंदियतिरिक्ख० २१-३४सू० पंचिदिय० जलयर ०२२- ३२सू० पंचेंदिrसंसार २२- ३०सू० दिया २१- ३२सू० पुचिकाइया २१-११सू०
० सुहुम० २२-११स्० २१-५३० २२-१३सू०
पुरिसा पादरपुढवि० बादरते उक्काइया २१-२६सू० बादरवणस्पति २२-२१स्० वायरआउक्काइया २१-१७सू० बावर वि०
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वायरवणस्सइ० बाहिरए बेदिया
२१- १४सू० २१-२०सू० १९-१९० २१- २९सू०
से किं तं बेई० पुलाकिमिया २२-२७सू०
भवणवासी
२१-११६सू० २२- ३७०
" संमुहिम० २१-४२०
39 99 99
" " " मणुस्सा
12
95 19
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33 33 33
35
रुक्खा रुविनजीय०
२२-४सू०
रुविअजीवा० खंघा २१-५०
35 33 33
" " " वणस्सइकाइया २२-१९सू०
२१-१८सू०
35 35 23
२२-१८सू०
२१-२७सू०
99 99 99
" " " सण्हबायर०
२२-२४सू०
" " " सहबा०सत्तविहा २१-१५०
99 99 99
35 35 35
99 23 25
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35 39 39
35 25 25
93 9995
२१-१०६सू० २२-२३०
29
वाउकाइया
वाउ० सुहुम०
२१-२४५१० समुच्छिम० ति० २१-३५सू० संमुच्छममा २१-१०००
[सू० / २३ चं० २४ जं० २५ नि० २३ प्रकी०२७
॥ ७० ॥

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