Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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सूर्य०२३
औ०१९ रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२|
च०/२४
२७-१५२७
२५-५५ २५-६८ २५-५४ २५-६९
जं. २५ नि० २६ मकी०२७
संसाररंगमज्झे
२७-१५४५ | साहुत्तसुट्ठिया जं संसारसमावण्णे य २७-१२५२ साहुस्स नस्थि लोए साएय कोसला गयपुरं
२२-११४
| साहू कयसलेहो सा किर दुष्पडिपूरा २७-५५० साहूण साहुचरिअं साकेअपुराहिवइ
२७-३९७ | साहूणं नोवकयं सागरगिरिमेरागं
२५-२४ | साहू य मंगलं मज्झ सागरतरं णत्थि मई २७-२६०१ सिअकमलकलस० सागारोवओगुवउत्तेणं० पु० २२-२४५सू० | सिद्धत्ति य बुद्धत्ति य सा णं पउमवरवेतिया २१-१,११सू०
, , , सा य पगलंतलोहिय २७-१६५२ ..
,., सायमसायं सब्जे
२२-२२७ | सिद्धसरणेण नव० सायसलिलुल्ललोहिय० २७-१६४८ | सिद्धस्स सुहो रासी सावजजोगविरई सावत्यी जियसत्तू २७-२७३५ सावयभयाभिभूओ २७-१७९२ | सिद्धा य मंगलं मज्झ साहा गहनक्खत्ता २७-२०२६ | सिद्ध अ विज्जुणामे साहारणमाहारो
२२-१०१ । ,. उवसंपपणो
२७-४० सिद्धे उवसंपन्नो २७-७७९ |, कच्छे खंडग० २७-२५५९ |, णीले पुश्वविदेहे
|,, य मालवंते २७-१३११ |, रुप्पी रम्मग २७-२५२ ,, सोमणसे विध २७-६०१ सिरिहिरिधितिकित्तीओ २७-१२२८ सिंगारतरंगाए
सिंघाडगस्स गुच्छा २२-१७८ सिंमे पित्ते मुत्ते २७-३० सीआवेद विहारं १९-२३ सीउण्हपंथगमणे २२-२७३ सीता .य दब्यसरीर २७-१२२३ सीयायषज्झडियंगा २७-२४९
सीलई ससिहारे य
सील तवदाणभावण २७-२५३ | सीलेणवि मरियवं
.
२७-४०४
२२-५५ २७-५५५ २७-७३२ २७-५२४ २२-२२६ २७-१६८९
२७-८०९ २७--१२८

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