Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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औ० १९
मायापिहबंधुहि
२७-७९६ २७-५९८ २५-४४
जी०२१ प्रज्ञा०२२
०२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७
२७-१७६ | मिच्छत्तं परिजाणामि , बंधूहि २७-२४७ मिच्छादसणरत्ता मायापिईहिं सहवडिपाहिं २७-१८९० मिच्छादसणसलं माया मित्ति पिया मे
मित्तसुयबंधवाइसु माया मिसि पिया मे २७-१७५ | सित्ते नंदे तह सुटिए माऽऽया हु व चिंतिजा २७-२६८ मिल्हियविसयकसाया मारणंतियसमुग्घातो सट्टाणे २२-३३८सू० मिठो किलिट्ठकम्मो मासपण्णिमुग्गपण्णी. . २५-५१ मोग्गल्लायण संखायणे मासाणं परिणामा
मुग्गिल्लगिरिमि मासे मासे उजा अजा २७-८४३ मुणिचंदेण विदिण्णस्स माहिदे साहियाई सत्त दस २७-११०४ मुणिर्ण नाणाभिग्गह मा हु य सरीरसंता० २७-१६४१ मुद्दिय अंबावली मा होइ वासगणया
२७-६३७ । मुयरुख हिंगुरुक्खे -मिगसिर भद्दा पुस्सो २७-८६९. | मुहवाससुरहिगंधं मिगसिरमहा य मूलो.. २७-८५८ मूलगुण उत्तरगुणा | मिगसीसावलिरुहिरबिंदु: २५-२०९ | मूलगुणे उत्तरगुणे मिच्छत्ततमंधेणं
२७-५१ |. "
२७-२५२ | मूलगुणेहि विमुक्कं २७-१०३ | मूलं तह संजमो बा २७-१३३१ | मूलंमि जोअणसयं २७-२६४२ ,, तिणि सोले
मूलुक्खयपडिवक्खा
| मूलुत्तरगुणभट्ट २७-३५३ | मेढी आलंबणं खंभं २५-१०४ | मेदो वसा य रसिया
मेरुब्व पव्वयाणं २७-१७२३ मेरुस्स मज्झयारे २७-७८३ मेहंकरा मेहवई २२-३३ | रइअरइतरलजीहाजुएण २२-४० | रक्खाहि बंभचेरं २७-५६७
रति च पयइविहसिय २७-१४५२ रत्तुक्कडा य इत्थी
| रमणिजहरयतरुवर २७-२१ । रमणीअदसणाओ
२७-२६ २७-७२० २७-७१७ २७-५४९ २७-६१६ २५-८४ २५-७१ २७-३८४ २७-३८२ २७-१६५४
२७-४६२ २७-१६९० २७-३९४
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