Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

View full book text
Previous | Next

Page 41
________________ सूर्य० २३ औ० १९| रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ ", सरीरपूर्व तस्स० पएसिस्स० रणो २०-४९सू० तं च किर रूववंतं २७-५६५ | ता एएसि णं चंदिम० २४-९९सू० ,, पासायवाईसए २०-३५सू० ,, चंचलायमाणं ,, , पंचण्हं० २४-६५सू० ,, य पायच्छित्तं ,, चेव समइरेगं २७-१४६६ , जइ इच्छसि गंतुं २७-१४३७ , ,, पं० सं० २४-७७सू० २७-१७०६ ,,, ताव न मुच्चइ २७-१८०२ ,, ,, पंचण्हं सं० २४-६७सू० ,,,, हिट्ठा चूयस्स : २७-४५७ , तारिसगं रयणं २७-१७७९ ,, एगमेगे णं अहो० २४-८६सू० तस्सासी अ गणहरो - २७-६६९ ,, तित्थं तुमि लद्धं २७-६०८ , एगमे० णं चंदस्स २४-९२सू० तह उत्तमट्टकाले २७-१६४६ ,, दाणिं सोयकरणं २७-४७६ ,, एताएक अद्धाए २४-१०सू० , उत्तरेण पक्खं २७-१६५७ , नाऊण कसाए २७-१२६८ ,, एतेसि णं अट्ठावीसाए २४-३४सू० , झाणनाणवु(जुत्तं २७-१७३१ , नाणदंसणाणं २७-२८२ ,,,, , पंचण्हं० सं० २४-६६सू० धन्नसालिभद्दा २७-२६७९ तंपि न रूवरसत्थं २७-७६७ , एगपि सिलोगं २७-१२३ परतित्थियकीडा २७-१८९२ तं फासेहि चरित्तं २७-१४०८ । , एयं कायब्वं .२७-६१ ,, य अवायविहन्नू २७-१३२२ तंमि सिलायलपुहवी २७-१६९१ ,,, नाऊणं २७-१३९३ ,, सुकरणो महेसी २७-२२७८ तं मुयह रागदोसे २७-१४३४ । |, एअं तुमि लद्धं २७-६०४ , अब्भुजअमरणं . | तमू (तम्मू)लं संसारे जणेइ २७-८४२ | ताओ चइऊण इहं .. २७-१६९२ ,, उज्जुभावपरिणउ०. २७-१३४४ सीहसेणगयवर . २७-२७४६ ता कता णं एते आदिश्च २४-७४सू० , एवं जाणतो २७-१२९३ | ता अस्थि णं चंदिम०२४-९०सू० ।,,, ते दोसिणा २४-८२सू० !.. RSES २७-२८४ | तमू (तन्मूल

Loading...

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182