Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 55
________________ औ० १९ जी० २१ मज्ञा०२२ | पंच सयापरिवुडया . २७-१७०३ | पाडलिपुत्तमि पुरे २७-६५६ पासित्तु ताई कोई २७-३१३ पंचेव इगुणपन्नं २५ (पृ० ५०८टी०) | पाडलिपुत्तंमि० विस्सु० २७-६५९ पिउभगअजमसविआ २२-१३१ पंचेव धणुसयाई २७-१०२७ | पाडिवए पडिवत्ती २७-८५० पिच्छसि बाहिरमटुं २७-५४४ पंचेवणुत्तराई | पाढामियपालुंकि २२-५० पिच्छसि मुहं सतिलयं २७-५४३ पाचं दियतिरिक्ख० अणंतरं २२-२४१सू० | पाणातिपातविरए णं० कम्मप० वं पित्तस्स य सिंभस्स य २७-४७५ ,, कओहिंतो उव० २२--१३३सू० २२-२८७सू० पिसाय भूआ जक्खा य २७-९९५ ,, जोणि केव० ठिई २२-९८२० पाणातिवायविरयस्स णं० जी० । पिंडं उवहिं च सिजं .- २७-७३० किं आरंभिया किरिया कजति पीईकरो वण्णकरो २७-५८१ ... उचकर उब्ब०२२ २६३सू० २२-२८८सू० | पीयं थणअच्छीरं २७-१६३४ पंचिदियतिरिक्ख० पज्जवा २२-१०८० | पाणिवहमुसावाए २७-६६ पंचिंदियसंवरणं पाणोऽवि पाडिहेरं २७-३७२ २७-१४७२ २७-१४९७ पारिब्बायगभत्तो २७-१६४७ पुक्खरवरणं दीवं पु० बट्टे २१-१८१सू० पंडक. अभिसेअसिलाओ २५-१०८सू० | पालय पुण्फे-य सोमजसे २५-७८ पुट्ठाई० सद्दाई सुणेति २२-१९४सू० पाओवगमं भपियं २७-२७६३ पावह इहेव वसणं २७--३३७ | पुट्ठोगाढअणंतरं . २२-१९८ पागडियपासुलीयं २७-५६२ । | पावाणं० कम्माणं २७--१५१४ पुढविकाहए णं भंते ! पुढ०२१-२२९सू० पागारपरिक्खित्ता २७-११४२ | पावाणं पावाणं. २७-२२२ पुढविकाइयस्स णं भंते ! केवतियं पाडलचंपयमल्लिय २७-५६६ | पावियपरमाणंदा २७-२८ | काल टिती २१-२२८सू०

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