Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 51
________________ R औ० १९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ SEETAXATEELATKARXXX नाणेमि दंसणंमि य नाणं सुसिक्खियब्वं नाणाईआ उ गुणा ॥ नाणाविधसंठाणा नाणाबिहदुकवेहि य नाणे असगडताओ . ,, आउत्ताणं नामेण य झाणेण य ,, बजणिज .,, विणा करणं ,, सब्वभावा . नामेण चंडवेगो - नारयतिरियगईए निअदव्यमपुवजिणिद. निक्कसायरस दंतस्स निक्खममाणे सिग्घगइ लिखिला फासेयधा २७-१२२० निगोदा भंते ! दवट्टयाए २१-२४०सू० | निमित्तेसु पसत्येसु २७-९२१ सूर्य० २३ | निग्गहियकसाहिं २७-१८५६ | निमित्तेसु० सबकजाणि २७-२२३ च०२४ निचलनिप्पडिकम्मो २७-१७६१ | निम्ममनिरहंकारा २७-६४६० . २५ निच्चं तिदंडविरया २७-१२६१ | निम्ममनिरहंकारो २७-१५७७ नि० २६ २७-१५४१ | निच्चंपि तस्स भावुज्जुअस्स २७-६४० २७-२७११ प्रकी०२७ २७-१७३७ - निच्छिअमरणावत्थो । | निम्मलदगरयवण्णा २७-१२०२ २७-१३७१ विच्छिण्णसव्वदुक्खा २२-२३१ निरयगईणं० केवइयं कालं २२-१२२सू० | निच्छिन्नसव्वदुक्खा निरयावलिया सुयखंधो २६-३१सू० २७-१३७२ २७-१२२९ निव्वाणसुहावाए २७-३३२ २७-१३८२ निजरियजरामरणं २७-४४८ निसग्गुवएसराई २२-१२० २७-१३७५ निटुंविअ अट्ठमयठाणे निसढे माअनिवहवहे २७-६६४ निदलिअकलुसकम्मो २७-४४ - निसरित्ता अप्पाणं २७--१५८८ २७-६८० निन्नयं च खलयं निस्सल्लस्सेह महब्वयाई २७-४१० २७-३०६ निद्धं महुरं पल्हा २७-४३२ निस्संकिय निकंखिय २२-१३३ | २७-१३१ निष्फेडियाणि दुण्णिवि २७-१६६० निस्संधिणातणंमि व २७-१५८२ २४-२० निभत्थणावमाणण० २७-२८२८ | निहण हण गिण्ह दह २७-२६२९ २७-१४२३ | निमित्त क्रित्तिमे नथि २७-९२० | निंदामि निंदणिजं २७-९४ ॥४९॥

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