Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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औ०१९ रा० २० जी० २१॥ प्रज्ञा०२२/
सूय०१२३
चं०/४ जं. २५ नि० २६ प्रकी०६७
जो निच्छपण गिण्हह जो पुण अत्थं अवहरह ,,,, देसणमइओ ,, ,, दंसणसुद्धो ,, ,, पत्तभूओ जो भत्तपरिनाए जोयणसहस्स गाउय
छग्गाउ० जो रागदोसरहिओ जो वाससयं जीवह ,, सम्मं भूयाई ,, साइआरचरणो ,, सुत्तमहिजंतो ,, संखिजभव४िई जोहाण य उप्पत्ती जो हेउमयाणतो- झाणाण परमसुकं
२७--१६७५ | ठविए पायच्छित्ते
२७-२९८ णाणावर णिजस्स णं
२२-२९५सू० २७-३७८ ठिती सव्वेसि भाणियब्बा २१-२२१सू०णाणावरणिजस्स २२-२९३सू० २७-६२१ | डझंतेणयि गिम्हे
२७-७०६
, क. २२-२९८सू० | णक्खत्ततारगाणं २४-६६ णाणाविहसंठाणा
२२-४४ २७--६२० णक्खत्तसहस्सं
२४-४२ णाणी चेव अण्णाणी० २१-२४७सू० २७-32 णक्खत्ताण सहस्सं
२१-३८ | ,, जहा सम्म हिट्टी २२-३१२सू० २२-२१६ | णग्गोह मंदिरुक्खे
२२-१९ , णं णाणित्ति २२-२४२सू० २२-२१५ णट्टविही णाडगविही २५-३७ णाभिस्स णं कुल २५-३१सू० २७-६२३ णपुंसकवेदस्स णं भंते ! २१-६२सू० | णिच्छिण्णसव्वदुक्खा २७-४९२
णिद्धस्स णिद्धंण दुयाहि०२२-२०० २७-१८५९ | णरगं तिरिक्खजोणि १९-३ णिबंबजंबुकोसंब २७-३०२ णवमे वसंतमासे
णेरइयाण. सब्वे सम० २२-२०८सू० २२-१२५ | णवि अस्थि माणुसाणं १९-२१
, समा० २२-२०६स० २७-६३३ | णवि से खुहा ण विलियं
सप्पंमि णिवेसा २५-३६ | णंदिस्सरवरणं दीवं २१-१८५सू० | तइया कीस न हायद २७-२८०० २२--१२४ | णंदीसरोदं समुदं २१-१८६सू०
२७-४८१ २७-५९६ णंदुत्तरा य गंदा
२५-७२ | तए पं० अकालपरिहीणा २०-१४सू०
॥३४॥

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