Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha
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च०/२४
औ०१२
जाहे य पावियवं रा० २०॥
, होइ पमत्तो जी० २१
DI, , प्रज्ञा०२२ जिअलोयबंधुणो
जिट्ठो चउदसपुत्री जिण मयभाविअचित्तो जिणवयण अणुगया जिणवयणे अणुरत्ता जिणवयणनिच्छिअ० जिणवयणमणुगयमई
जं० २५ | नि० २६ प्रकी०२७
२७-१८६५ | जीवपरिणामे णं २२-१८२सू० | जीवे पं० जाति दवाति २२-२६८सू०
२७-२३१ | जीववहो अप्पवहो २७-३६८ ,, जीवेत्ति कालओ २२-२३३सू० २७-१५२४ जीवस्स णं भंते ! गब्भगयरस २७-४सू० ,, णाणा० कम्मं० २२-२९१सू० २७-३१ जीवस्स पं० मारणं० २२-२७६ "
२२-२९२मू० २७-१६९४ जीवाणं कतिविधे २२-२०३सू० , णाणावरणिज २२-२८३सू० २७-१८९४ जीवा पं० कतिहि ठाणेहिं २२-१९०सू० ,, णाणातिवाएणं २२-२८२सू० २७-२३०
,,,, किं भासगा. .२२-१६६सू० , भंते !० उत्ताणए वा २७-१०पू० २७-१०६ , ,,, सकिरिया २२-२८२सू०
,, ,, गतिचरमे २२-१६०५० " , सच्चमणप्प०२२-२०४सू०
,,, गभगए
२७-५सू० २७-२३२ ,,,, सण्णी २२-३१६सू० ,, ,, देवलोएसु २७-९सू० २७-२५२५ , ,, सम्मदिट्ठी २२-२५५सू०
, , नरएसु २७-८सू० २७-२५२३
, संजया २२-३१७सू० ,, वेउब्वियसमु० २२-३४६० २७-२७५२ जीवे ,, अंतकिरियं २२-२५६सू०
,, वेदणासमु०२२-३४५सू० २७-१७५६
,, किं आहारए २२-३१०सू० | जीसे तयाए भग्गाए २२-५९ २७-१५०८ ,, ,, गब्भगए समाणे २७-६०. जीसे ,, ,
२२-६९ २७-२१६ ,,, जाइं० ताई २२-१७२सू० जीसे सालाए कट्ठाओ
२२--७९ २२-२११ । , , , , २२-१६९सू० ।, , तणु०
२२-८३
जिणवयणमणुगया मे जिगवयण मणुगुणितो जिणवयणमणुस्सट्ठा जिणवयणमप्पमेय
जीव गइइंदियकाए

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