Book Title: Upang Prakirnak Sutra Vishaykram
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 29
________________ २६-२१सू० २३ २६-२३सय औ०१९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥२७॥ सूर्य०, २३ चं०२४ जं० २५ नि० २६ प्रकी०२७ छावत्तरं गहाणं २७-२०६३ जह ताव ते मुणिवरा | जइ इच्छसि नित्थरि २७-२६९ ,, ,, ,, सुपुरिसा जइ इच्छसि नीसरि २७-१५५१ ,, उप्पजइ दुक्खं २७-१११ ,, कहवि असुहकम्मो २७-४३१ ,, सावयाकुल , खलु तस्लेव आदिश्चस्स २४-११सू० ,, णं० उक्खेवओ २६-२५सू० जइया सयणिजगओ २६-३०सू० जइविन सकं काउं २६-२९सू० , परिचत्तसंग्गो २६-२७सू० , स खंडिअचंडो २६-२८सू० , सयं थिरचित्तो पुफियाणं २६-२४सू० जइ सागरोवमाई णं भंते ! उक्खेवओ २६-२६सू०, सोवि सब्वविरइ० ,, ,, लवण० २१-१७४सू० | जगआहारो संघो ,, समणेणं २६-५सू० जड्डाणं बहाणं निचिक ,, ,, समणेणं० २६-२२सू० जणवयसंमतठवणा ,, , निरया २६-२०सू० । जण्णामया य कूडा २७-६९६ | जति पं० समणेणं २७-१५०५ २७-२१३ जत्तियमित्ते दिवसे २७-२१४ जत्तो वट्टविमाणं २७-१५०६ जत्थ अणुत्तरगंधा २७-१७८५ |, जयारमयारं ૨૭-૨૮૯૨ |, पियपुत्तगस्सवि २७-७४२ ,, मुणीण कसाए २७-४०३ य अजाकप्पं २७-३०० ,,,,लद्धं २७--७७५ , अजाहिं समं २७-२१५९ उवस्सयाओ २७-३०७ २७-६८९ , एगा समणी २७-१७७ , एगो सिद्धो २२-१९४ २७-४५० २७-११४३ २७-११५० २७-८१९ २७-१८३३ २७-८०६ २७-७७० २७-८०० २७-७७२ २७-८१७ २७-८१६ २७-८१८ "" एगा खुड़ी २२-१६७ २७-१२१६ ॥२७॥

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