Book Title: Universal Values of Prakrit Texts
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Bahubali Prakrit Vidyapeeth and Rashtriya Sanskrit Sansthan
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सन्दर्भ
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रयणावली (देशीनाममाला)- १/४४,६/९३,८/१२ २ तिसट्ठिमहापुराण, १/३-४, णायकुमारचरिउ १/२ ३. णायकुमारचरिउ, १/२/२ ४. देखे, डॉ. तगारे का 'सह्याद्रि' नामक मासिक पत्रिका (अप्रैल १९४१) में प्रकाशित शोध निबन्ध। ५. सत्तम णरइ दोड्ड सो पडियउ....... तिसट्टिमहा. ९०/२/१० ६. पं. नाथूराम प्रेमी, जैन साहित्य और इतिहास, पृ. २२६-२२८ ७. इस विषय पर श्रीमती डॉ. रत्ना नागेश श्रेयान् बंगलोर ने विस्तृत शोधकार्य किया है, जो अहमदाबाद से प्रकाशित है।
उससे भी विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ८. छन्दोनुशासन (हेमचन्द्र),७/५० ९. तिसट्टिमहापुराण, १४/६/११-१२, १६/२/३ १०. णायकुमारचरिउ, १/१८/२, जसहरचरिउ १/२७ ११. तिसट्ठिमहापुराण, १/१४/३-६
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