Book Title: Universal Values of Prakrit Texts
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Bahubali Prakrit Vidyapeeth and Rashtriya Sanskrit Sansthan
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25. धम्मपदकी सार्वभौमिकता
- प्रोफेसर विजयकुमार जैन,लखनऊ भूमिका
___ 'धम्मपद ' पालि त्रिपिटक के अंतर्गत खुद्दकनिकाय का एक ग्रंथ है। धम्मपद ' से बौद्धधर्म का तो ज्ञान होता ही है, मानव कल्याण की विश्वोपयोगी सार्वकालिक शिक्षाएँ प्राप्त होती हैं। यही कारण है कि इसे बौद्धधर्म के प्रतिनिधि ग्रंथ का दर्जा दिया जाने लगा है। जैसे बाइविल, गीता आदि को ईसाई एवं हिन्दू परम्परा में दिया जाता है। इस धम्मपद का पाठ बुद्ध के समय ही किया जाने लगा था। भगवान बुद्ध की 'वाणी' के रूप में सर्वाधिक प्रामाणिक एवं लोकप्रिय रचना है। इसे कई भाषाओं में अनूदित भी किया गया है। प्राकृत धम्मपद भी मिलता है, संस्कृत छाया भी की गई है।
‘धम्मपद ' को बुद्धवचन मानने में किसी को आपत्ति नहीं है। त्रिपिटक के खुद्दकनिकाय में सम्मिलित होने के कारण यह बुद्धवचन तो है ही, साथ ही खुद्दकनिकाय के कुछ ग्रंथों में जिस प्रकार बुद्धवचन मानने में आपत्ति की जाती है वह भी धम्मपद, सुत्तनिपात, दान, इतिवृत्तक, खुद्दकपाठ में नहीं। स्वयं भगवान बुद्ध ने धम्मपद ' की प्रशंसा की थी।
'धम्मपद ' शब्द का अर्थ है धर्म - सम्बन्धी पद या शब्द। ‘पद ' शब्द का अर्थ वाक्य या गाथा की पंक्ति भी होता है। अतः ‘धम्मपद ' का अर्थ धर्म - सम्बन्धी वाक्य या गाथा भी है। बुद्ध द्वारा उपदिष्ट धर्म - सम्बन्धी शब्दों, वाक्यों या गाथाओं को भिक्षु उनके जीवन-काल में ही कण्ठस्थ करने लगे थे। सुत्त-निपात के अट्टक-वग्ग को बुद्ध के एक शिष्य ने उनके सामने सस्वर सुनाया था। इसी प्रकार दूसरे बुद्ध-वचन भी भिक्षुओं के द्वारा कण्ठस्थ किये जाते थे और उनका किसी न किसी रूप में संकलन भी उस समय विद्यमान था। 'धम्मपद ' ऐसा ही एक संकलन है। स्वयं 'धम्मपद' की दो गाथाओं के अर्थ में 'धम्मपद ' शब्द का प्रयोग मिलता है। यह उसकी प्राचीनता का सूचक है। ये दोनों गाथाएँ इस प्रकार हैं -
को इमं पठविं वर्जिस्सति यमलोकञ्च इमं सदेवकं । को धम्मपदं सुदेसितं कुसलो पुप्फमिव पचेस्सति ।। ४४ ॥ सेखो पठविं विजेस्सति यमलोकञ्च इमं सदेवकं ।
सेखो धम्मपदं सुदेसितं कुसलो फुफ्फमिवपचेस्सति ।। ४५ ।। " कौन इस पृथ्वी तथा देवताओं के सहित यम-लोक को जीतेगा ? कौन कुशल पुरूष के समान इस सुन्दर रूप से उपदिष्ट “धम्मपद' को चुनेगा ? "शैक्ष्य पुरूष इस पृथ्वी तथा देवताओं के सहित यम-लोक को जीतेगा । शैक्ष्य पुरुष पुष्प के समान इस सुन्दर रूप से उपदिष्ट धम्मपद ' को चुनेगा ॥ (-धम्मपद, पुप्फवग्गो)
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