Book Title: Universal Values of Prakrit Texts
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Bahubali Prakrit Vidyapeeth and Rashtriya Sanskrit Sansthan

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Page 307
________________ क) तत्सम आन्ध, अळङ्कार, अळं, अहं, आ, आम (आम्), इंद, इव, काम, कामदेव, किं, कुन्ती, कूज, केश, खण्ड, गच्छ, गन्ध, गळ, गेह, च, जीव, तं, तव, धाव, पळ्ळव, बन्ध, बल, बाल, भण, भाव, मम, महन्त, मा, मूळकन्द, मे, योग, बंच, वन्द्य, वा, शव, शीळ, हर, हि - ये कुल ४३ हैं। ख) अर्द्धतत्सम ___ळ र= अङ्गाळ अङ्गार, अन्तळा अन्तरा, आहळाभि आहारामि, कुकुळ कुक्कुर, गम्भीळा गम्भीरा, चाळुदत्त चारुदत, दाळुणो दारुण, दुवाळं द्वारं, माळए मारये, ळाअ राज, शङ्कळ शङ्कर, शळीळं शरीरं, शिळं शिरं, हळन्ती हरन्ती, हशा हासा । श ष = एशा एषा। श स = अशि असि, दाशी दासी, याशि यासि, माशं मासं, शा सा, वाशू वासू । न = जण जन, जाण जान, ण न, णाद नाद, णाम नाम - ये कुल ०५। न+स = णाशा नासा। + + + ळ = न+र = णूपुळा नूपुरा । ळ = न = स = दुःशाशळे दुःशासन। ग) देशज अणुआण अनुष्ठान, अविहा ओह, अहके अहम्, क्खु खलु, खु खलु, जज्झइ दह्यते, त्ति इति, भाआशि विभेषि, मळीअशि मार्यसे, लच्छा रथ्या, और शौवहा सर्वथा - ये कुल ११ है। ग) तद्भव __अ च, अणुणए अणुबन्धअन्ती, अन्धआलं अन्धकारम्, इअं इयं, इत्थिआ स्त्री, इश्शळं ईश्वरं, एत्थ अत्र, कडे कृतम् , कन्दाहि क्रन्द, कळिय कृत्वा, कामइदव्वे कामयितव्यय, खोहो क्षोभो, गणिआ गणिका, गह्निअ गृहित्वा, गण्ह गृहाण, गदे गत, गहीदा गृहीता, चम्म चर्म, चिट्ठ तिष्ट, छिन्दिअ छित्वा, जणमेजए जनमेजय, जहा यथा, जो य, णअण नयन, णट्ठा नष्टा, णाए नार्ये, णाडय नाटक, णीअभाणा नीयमाना, तश्श तस्य, तीक्खे तीक्ष्ण, तु त्वाम, तुमं त्वा, दरिद्द दरिद, दळिद्द दरिद्र, दारिआ दारिका, दीशइ दृश्यते, दुक्खडे दुष्कर, दुल्लहे दुर्लभ, दुवेहि द्वाभ्याम, दे ते, पक्ककवित्थं पक्ककपित्थं, पक्ख पक्ष, पक्खलन्ती प्रस्खलन्ती, पच्चा -265 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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