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संदर्भ
चारुदत्तं - भासप्रणीत, सम्पादक - गणपति शास्त्री, त्रिवेन्द्रम, १९२२ ई.
नाटयशाखं भरतमुनि प्रणीत, सम्पादक डॉ. पारसनाथ द्विवेदी, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी।
मानधीतु नरेन्द्राणान्तह पुरसमाश्रय १७.५१ भरतमुनि प्रणीतं नाट्यशास्त्रम् ।
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मानधानां भाषा मागधी ११.१ वररुचि प्राकृत प्रकाश चौखम्भा संस्कृत संस्थान, वाराणसी।
मागधिकायां र-सयोर्ल शो, प्राकृतलक्षण, कवि चण्ड, सं. मुनिराज दर्शन विजय, प्रकाशक -चारित्र स्मारक ग्रन्थमाला वीरमगाम (गुजरात), विक्रम संवत् - १९९२, ३/४१ कंचनायन व्याकरण, तारा पब्लिकेशन्स, वाराणसी, सन् १९६६ ई., भूमिका पृष्ठ- ३३
प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी, १९८८, पृष्ठ- ३२
प्राकृत प्रकाश, वारुचि, चौखम्भा संस्कृत संस्थान, वाराणसी।
षसोः शः १ वही
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११.३
अस्मदः सौ हके हगे - अहको, वही ११.९
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चावतं, भास कविकृत, सं. गणपति शास्त्री त्रिवेन्द्रम्, पृष्ठ-३३
कुञमृङ्गमां क्तस्य डः, उपर्युक्त प्राकृत प्रकाश - ११.१५
अभिनव प्राकृत व्याकरण, डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री, तारा प्रिंटिंग वर्क्स, वाराणसी, १९६३, पृष्ठ ४०० उपर्युक्त प्राकृत प्रकाश सूत्र - ११.१० की व्याख्या ।
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