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________________ १. २. ३. ४. ५. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. संदर्भ चारुदत्तं - भासप्रणीत, सम्पादक - गणपति शास्त्री, त्रिवेन्द्रम, १९२२ ई. नाटयशाखं भरतमुनि प्रणीत, सम्पादक डॉ. पारसनाथ द्विवेदी, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी। मानधीतु नरेन्द्राणान्तह पुरसमाश्रय १७.५१ भरतमुनि प्रणीतं नाट्यशास्त्रम् । - मानधानां भाषा मागधी ११.१ वररुचि प्राकृत प्रकाश चौखम्भा संस्कृत संस्थान, वाराणसी। मागधिकायां र-सयोर्ल शो, प्राकृतलक्षण, कवि चण्ड, सं. मुनिराज दर्शन विजय, प्रकाशक -चारित्र स्मारक ग्रन्थमाला वीरमगाम (गुजरात), विक्रम संवत् - १९९२, ३/४१ कंचनायन व्याकरण, तारा पब्लिकेशन्स, वाराणसी, सन् १९६६ ई., भूमिका पृष्ठ- ३३ प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, तारा बुक एजेन्सी, वाराणसी, १९८८, पृष्ठ- ३२ प्राकृत प्रकाश, वारुचि, चौखम्भा संस्कृत संस्थान, वाराणसी। षसोः शः १ वही 3 - - ११.३ अस्मदः सौ हके हगे - अहको, वही ११.९ Jain Education International 3 चावतं, भास कविकृत, सं. गणपति शास्त्री त्रिवेन्द्रम्, पृष्ठ-३३ कुञमृङ्गमां क्तस्य डः, उपर्युक्त प्राकृत प्रकाश - ११.१५ अभिनव प्राकृत व्याकरण, डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री, तारा प्रिंटिंग वर्क्स, वाराणसी, १९६३, पृष्ठ ४०० उपर्युक्त प्राकृत प्रकाश सूत्र - ११.१० की व्याख्या । -0-0-0 -269 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006701
Book TitleUniversal Values of Prakrit Texts
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherBahubali Prakrit Vidyapeeth and Rashtriya Sanskrit Sansthan
Publication Year2011
Total Pages368
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size19 MB
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