Book Title: Universal Values of Prakrit Texts
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Bahubali Prakrit Vidyapeeth and Rashtriya Sanskrit Sansthan
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प्राकृत का स्वरूप कथन किया गया है।' इनके सूत्रों द्वारा निरूपित प्रायः सभी विशेषताएँ चारुदत्तं के शकार नामक पात्र की संवाद भाषा में परिलक्षित होती हैं, जो इसे मागधी प्राकृत प्रमाणित करती हैं। निदर्शनार्थ कुछ प्रमुख विशेषताएँ अधोलिखित हैं
१.
३.
४.
५.
मूर्धन्य 'ष' और दन्त्य 'स' के स्थान पर तालव्य 'श' होता है। " शकार की प्राकृत में भी 'ष' और 'स' के स्थान पर सर्वत्र 'श' का प्रयोग है। यथा -
एषा एशा, (पृ. १७ एवं २२)
असि अशि, (पृ. २१), दासी दाशी (पृ. ३०), वासू वाशू (पृ. ३०), यासी याशी (पृ. १६), मास माश (पृ. १८), सा शा (पृ. ३४)
अस्मद् शब्द का प्रथम पुरुष एकवचन 'सु' विभक्ति में 'हके, हगे, अहके' - ये तीन रूप होते हैं । " शकार की भाषा में अहके शब्द प्रयुक्त हैं । "
ष श, =
स श, =
शकार की भाषा में 'कृ'
है । २ यथा - कृत कडे, (पृ. ३३), मृत मडे, (पृ. २१) उपलब्ध हैं।
' और ' मृङ्' धातु से विहित 'क्त' प्रत्यय के स्थान पर 'ड' आदेश होता
मागधी की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता 'र' के स्थान पर 'ल' का होना भी है। इसका उल्लेख यद्यपि वररुचि ने नहीं किया है, तथापि, उनके व्याख्या उद्धरणों में सर्वत्र इसके दर्शन होते हैं।
यथा -
लाआ राजा, १४, पुलिशे पुरुषः, १५
शकार की प्राकृत में भी इसके प्रयोग सर्वत्र मिलते हैं। यथा - अङ्गाळ (पृ. १ / ८), अन्तळा (पृ. ३३), कुक्ककुळेहि (पृ. १/१०), कोशिअ (पृ. १/१५) आदि ।
मागधी की उपर्युक्त विशेषताएँ अन्य प्राकृतों में नहीं पायी जाती हैं। अतः शकार की भाषा निर्विवादतः मागधी के प्राचीन रूप का अवलोकन कराती है। यह प्राकृत वररुचि तथा नाट्य शास्त्रकार भरत द्वारा विश्लेषित प्राकृत से भी प्राचीन है एवं अशोक के शिलालेखों से तुलनात्मक अध्ययन की अपेक्षा रखती है।
कार ने मागधी प्राकृत के कुल २०८ शब्दों का प्रयोग किया है", जिनमें संस्कृत में भी व्यवहृत होने वाले ४१ शब्द हैं। उच्चारण भेद की अनदेखी की जाय तो ३० शब्द और भी संस्कृत में प्रयुक्त पाये जाते हैं। देशी शब्दों की संख्या कुल ११ है । विशुद्ध मागधी के शेष १२६ शब्दों की व्युत्पत्ति संस्कृत से सिद्ध हो जाती है। शब्द-प्रयोग
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मागधी प्राकृत के प्रयुक्त शब्दों को स्पष्टतः चार भागों: विभक्त किया जा सकता
क) तत्सम, ख) अर्द्धतत्सम ग) देशज और घ) तद्भव । इनके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं
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