Book Title: Universal Values of Prakrit Texts
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Bahubali Prakrit Vidyapeeth and Rashtriya Sanskrit Sansthan
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एदाए गाहाए वि पुव्वद्धे उत्तरद्धे च पमाणणयेहिं वण्णणं देखिजइ। एवमेव थले थले पमाणणयाणं णामं वट्टइ। दव्वसंगहो जीवलक्खणं णेअगाहाहि किच्चा जगम्मि जीवत्थिच्चं परूवेइ।
वण्णरसपंचगंधा.......(दव्यसंगहो, गाहा-७), सद्दो बंधो सुहुमो.....(दव्वसंगहो, गाहा-१६) इच्चाइत्थले भोइ अविण्णाणस्स संदब्भो लहिज्जइ। पुढवजिलते उवाऊ .....(दव्वसंगहो, गाहा-११), समणाअमणागेया.....(दव्यसंगहो, गाहा-१२), ठाणे जीवविण्णाणस्स, वणफ्फइविण्णाणस्स च सुण्हपद्धइए वण्णीअ। एवमायरियणेमिचंदो पढमाहियारे छद्दव्याणं सुवित्थिअवण्णणं करइ। तदणंतरं जीवस्सावयारीइं काई दव्वाई ताणं च अप्पणा सह केरिसो संबंधोत्थि वित्थरेण णिरूवइ। सव्वपढमं अप्पणो के के कट्ठकारया ताणं वण्णणं पारंभिज्जइ - कसायभावा दुहकारणाई होति। मिच्छत्ताविरदिपमादजोगकोहादिभावा दव्वसंगहे भावासवरूवे गमिज्जइ। भावासवो खलु संसारभमणकारणं होइ एव। एरिसी गाहा दव्यसंगहस्स विदियाहियारे उवलहिज्जइ।
मिच्छत्ताविरदिपमादजोगकोधादओअथ विण्णेया।
पणपणपणदसतियचदु , कमसो भेदा दु पुव्वस्स।। -दव्वसंगहो, गाहा-३० तदो बंधस्स लक्खणं भेया च वण्णिदा। जदो आसवबंधो संसारस्स हेऊ। तदणंतरं संवरणिज्जरारूवे संसारमुत्तिकारणाई वण्णिआई।
संसाराणंतरं मोक्खो हवइ। मोक्खो हु अप्पणो परिणामो जो सव्वस्स कम्मणो खयहेऊ होइ।
मोक्खस्स कारणं रयणत्तयं, तं रयणत्तयं खु अप्पम्मि एव होइ। तम्हा मोक्खकारणं आदा। मोक्खो भारददेसस्स सव्वदंसणेसु जेण केण वि सीकरिजइ। भारदीयदंसणेसु मोक्खो परमं लक्खं अत्थि एरिसमोक्खस्स चच्चा दव्यसंगहस्स बिदियाहियारे वट्टदे। संसारभमणं झाणेण विणा होइ एव अणेणेव कारणेण दव्वसंगहे झाणब्भासस्स पेरणा विज्जए -
दुविहं पि मोक्खहेउं झाणे पाउणदि जं मुणी णियमा।
तम्हा पयत्तचित्ता जूयं झाणं समन्मसह।। -दव्वसंगहो, गाहा-४७ झाणेण मोक्खो लहिज्जइ अदो पयत्तपुव्वएण झाणब्भासो करिदव्यो।
झाणस्सोपायो इमोत्थि जं इट्टणिट्ठपयत्थेसु मा मुज्झह मा रजह मा दुस्सह तदा विचित्तणाणप्पसिद्धी हवइ। उत्तं च दव्वसंगहे -
मा मुज्झह मा रजह मा दुस्सह इट्ठणिट्ठअत्येसु ।
थिरमिच्छह जइ चित्तं विचित्तझाणप्पसिद्धीए॥ -दव्वसंगहो, गाहा-४८ पाईणकाले कम्मि वि थले झाणसिक्खणकेंदो णासी, इणं दव्यसंगहे झाणविसअयवण्णेण सुतरां सिज्झइ। वट्टमाणे तु णेगत्थले झाणकेंदा होति। वत्युदो दव्वसंगहे झाणभासस्स पेरणा अत्थि, झाणोवायो वि कधिदो।
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