Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 03 04
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
View full book text
________________
( २१ ) उसकी 'सम्बन्धकारिका' और 'अन्तिमकारिका' पर संक्षिप्त लघु टीका सुबोधिका, हिन्दी भाषा में विवेचनाऽमृत तथा हिन्दी में पद्यानुवाद की रचना की है।
(१३) पू. शासनसम्राट् श्रीमद् विजय नेमिसूरीश्वरजी म. सा. के पट्टधर शास्त्रविशारद-कविरत्न पू. प्राचार्य श्रीमद् विजयामृतसूरीश्वरजी म. सा. के प्रधान पट्टधरद्रव्यानुयोगज्ञाता पू. प्राचार्य श्रीमद् विजय रामसूरीश्वरजी म. श्री ने इस तत्त्वार्थाधिगमसूत्र का, सम्बन्धकारिका का तथा अन्तिमकारिका का गुर्जर भाषा में पद्यानुवाद किया है।
(१४) तीर्थप्रभावक-स्वर्गीय प्राचार्य श्रीमद् विजय विक्रमसूरीश्वरजी म. श्री ने गुजराती विवरण लिखा है ।
(१५) श्री तत्त्वार्थ सूत्र पर श्री यशोविजयजी गणि महाराज का गुजराती टबा है।
(१६) कर्मसाहित्यनिष्णात प्राचार्य श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी म.के समुदाय के मुनिराज श्री राजशेखरविजयजी ने श्रीतत्त्वार्थसूत्र का गुर्जर भाषा में विवेचन किया है।
(१७) पण्डित खूबचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्री ने सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्र का 'हिन्दी-भाषानुवाद' किया है ।
(१८) पण्डित श्री सुखलालजी ने श्रीतत्त्वार्थसूत्र का गुर्जर भाषा में विवेचन किया है।
(१६) पण्डित श्री प्रभुदास बेचरदास ने भी तत्त्वार्थसूत्र पर गुर्जर भाषा में विवेचन किया है।
(२०) श्री मेघराज मुणोत ने श्रीतत्त्वार्थसूत्र का हिन्दी भाषा में अनुवाद किया है।
जैसे श्री जैन श्वेताम्बर आम्नाय में 'श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्र' नामक ग्रन्थ विशेष रूप में प्रचलित है, वैसे ही श्री दिगम्बर आम्नाय में भी यह ग्रन्थ मौलिक रूपे अतिप्रचलित है। इस महान् ग्रन्थ पर दिगम्बर प्राचार्य पूज्यपाद ने सर्वार्थसिद्धि, प्राचार्य