Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 03 04
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 244
________________ xooooooooooooooooooooooooo फ्र जैनधर्मध्वज अभिवादन- गीत [कर्त्ता - पूज्याचार्य श्रीमद् विजयसुशीलसूरीश्वरजी म० ] ( जन गण मन अधिनायक - तर्ज राष्ट्र गीत) जन- जन - रंजन दुःख विनाशक, जैनधर्म सुखदाता | भवोदधितारक सुमुक्तिदायक, नित मंगल कर्त्ता ॥ १ ॥ ¤¤¤¤¤¤¤¤*¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤ पंच परमेष्ठी नवकार मन्त्र का, अनादि अनन्त काल में ये है, अहिंसा - संयम - तपोभूमि पर श्रमण ध्वज लहराये हरदम, जन- जन - रंजन जय हे ! जय हे ! पंचरंगी रंग विश्व मध्य जैनधर्म है जग में है हमको प्राणों से प्यारा ( २ ) सुहाया । फहराया ।। २ ।। दुःख विनाशक, जैनधर्म सुखदाता | जय हे ! जय, जय, जय, [ "जैनधर्म की जय" ] (¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤ क्षमादि जल बरसाता । समता भाव सुहाता ।। ३ ।। ☼ जैनधर्म का गीत [कर्ता - पूज्याचार्य श्रीमद् विजयसुशीलसूरीश्वरजी म० ] (देख तेरे संसार की हालत - ए तर्ज ) हमारा, अद्वितीय सनातन न्यारा । जय हे ! ॥ ४ ॥ दुःख संकट ये हरता सब के भव भ्रमण को दूर हटाकर, जैनधर्म० [१] चमक रहा है विश्वाकाश में, जैसे चन्द्र सूरज और तारा । ( २ ) अहिंसा ध्वज फहराने वाला सत्य मार्ग बतलाये । है हमको० [२] न्याय नीति आदि दिखलाकर, सदाचार सिखलाने वाला । ( २ ) अज्ञान तिमिर दूर करे ये ज्ञान प्रकाश फैलाये ॥ है हमको० [३] सुख सम्पत्ति नित देने वाले ( २ ) जन्म-मरण मिटाये ॥ प्रष्ट कर्म क्षय करे हमारे, मुक्तिधाम पहुँचाने वाला । कहत सुशील जिन आगम से, अक्षय सुख दिलवाये ॥ ¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤ है हमको० [४] (२) है हमको०] [५] *¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤0¤¤¤¤¤¤¤ü¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤

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