Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 03 04
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे
[ ४।३१ वाले असुरकुमार इत्यादि दस प्रकार के दस इन्द्र हैं। तथा उत्तर दिशा तरफ रहने वाले असुरकुमार इत्यादि दस प्रकार के दस इन्द्र हैं ।
इस तरह भवनपति निकाय में कुल बीस (२०) इन्द्र हैं। उनमें दक्षिणदिशा तरफ के इन्द्र दक्षिणार्धाधिपति कहलाते हैं। तथा उत्तरदिशा तरफ के इन्द्र उत्तरार्धाधिपति कहलाते हैं। उनमें सर्वदक्षिणार्धाधिपति इन्द्रों की उत्कृष्ट स्थिति डेढ़ पल्योपम की है ।। (४-३०)
* भवनपतिनिकाये उत्तरार्धइन्द्राणां उत्कृष्ट स्थितिः *
卐 मूलसूत्रम्
शेषाणां पादोने ॥ ४-३१॥
* सुबोधिका टीका * भवनवासिषु शेषाणां भवनवासिषु अधिपतीनां द्वे पल्योपमे पादोने परा स्थितिः । के च शेषाः ? महामन्दिरमेरोः अवधितः उत्तरार्धाधिपतिः ।
विहायासुरेन्द्रबलिः सर्वेषां उत्तराधिपतीनां उत्कृष्टस्थितिः पादोने द्व पल्योपमे ।। ४-३१ ।।
___* सूत्रार्थ-शेष (उत्तरार्ध) के भवनपति के अधिपतियों की (इन्द्रों की) उत्कृष्ट स्थिति पौने दो [१३] पल्योपम है ।
अर्थात्-शेष भवनपति के इन्द्रों की स्थिति पौने दो पल्योपम की जाननी ॥ ४-३१ ॥
ॐ विवेचनामृत भवनवासियों में से शेष अधिपतियों की उत्कृष्ट स्थिति आयूष्यकाल की एक पाद-चतुर्थभाग न्यून दो पल्योपम की है।
अर्थात्-भवनपति निकाय के शेष इन्द्रों की उत्तराधिपति की उत्कृष्ट स्थिति १।।। पल्योपम है।
सारांश-असुरेन्द्र बली के सिवाय सभी उत्तरार्धाधिपतियों की उत्कृष्ट स्थिति पौने दो पल्योपम की है । (४-३१)