Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 03 04
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे
[ ४१५३
* व्यन्तर निकाय के प्रत्येक प्रकार के देवों की उत्कृष्ट स्थिति १ पल्योपम की होती है। तथा व्यन्तर निकाय की प्रत्येक प्रकार की देवियों की उत्कृष्ट स्थिति ०॥ पल्योपम की होती है ।
सर्व प्रकार के देव और देवियों की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष की जाननी ।
ॐ ज्योतिष्क देव-देवियों की उत्कृष्ट-जघन्य स्थिति का कोष्ठक-यन्त्रक
देव
उत्कृष्ट स्थिति
जघन्य स्थिति
* चन्द्र-देव
१/४ पल्योपम की
* चन्द्र-देवियाँ
एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम की । पचास हजार वर्ष अधिक ०।। पल्योपम की एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपम की
पाँचसौ वर्ष अधिक ०॥ पल्योपम की
* सूर्य-देव * सूर्य-देवियाँ * ग्रह-देव * ग्रह-देवियाँ
एक पल्योपम की
॥ पल्योपम की
* नक्षत्र-देव
॥ पल्योपम की
* नक्षत्र-देवियाँ
* तारा-देव
साधिक ०। पल्योपम की ०। पल्योपम की साधिक १/८ पल्योपम की
१/८ पल्योपम की
* तारा-देवियाँ
* भवनपति आदि चारों निकायों में इन्द्रों और इन्द्राणियों की स्थिति
उत्कृष्ट होती है।