Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 03 04
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 227
________________ परिशिष्ट-१ ] चतुर्थोऽध्यायः [ १०३ * तस्याधारस्थानम् दो चेव सागराइं, उक्कोसेण वियाहिमा । सोहम्मम्मि जहन्नेणं, एगं च पलिग्रोवमं ॥ २२० ॥ सागरा साहिया दुन्नि, उक्कोसेण वियाहिना । ईसाणम्मि जहन्नेणं, साहियं पलिनोवमं ॥ २२१ ॥ सागराणि य सत्तेव, उक्कोसेणं ठिई भवे । सरणकुमारे जहन्नेणं, दुन्नि ऊ सागरोवमा ॥ २२२ ॥ साहिया गागरा सत्त, उक्कोसेणं ठिई भवे । माहिन्दम्मि जहन्नेणं, साहिया दुन्नि सागरा ॥ २२३ ॥ दस चेव सागराइं, उक्कोसेणं ठिई भवे । बम्भलोए जहन्नेणं, सत्त ऊ सागरोवमा ॥ २२४ ॥ चउदस सागराइं, उक्कोसेणं ठिई भवे । लन्तगम्मि जहन्नेणं, दस ऊ सागरोवमा ॥ २२५ ॥ सत्तरस सागराई, उक्कोसेणं ठिई भवे । महासुक्के जहन्नेणं, चोद्दस सागरोवमा ॥ २२६ ॥ अट्ठारस सागराइं, उक्कोसेणं ठिई भवे । सहस्सारम्मि जहन्नेणं, सत्तरस सागरोवमा ॥ २२७ ॥ सागरा अउणवीसं तु, उक्कोसेरणं ठिई भवे । प्राणयम्मि जहन्नेणं, अट्ठारस सागरोवमा ॥ २२८ ॥ वीसं तु सागराइं, उक्कोसेणं ठिई भवे । पाणयम्मि जहन्नेणं, सागराउणवीसई ॥ २२६ ॥ सागरा इक्कवीसं तु, उक्कोसेणं ठिई भवे । पारणम्मि जहन्नेणं, बोसई सागरोवमा ॥ २३०॥ बावीसं सागराइं, उक्कोसेणं लिई भवे । अच्चुयम्मि जहन्नेणं, सागरा इक्कवीसई ॥ २३१ ॥

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