Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 03 04
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
View full book text ________________
परिशिष्ट-१ ]
चतुर्थोऽध्यायः
[ १०१
卐 मूलसूत्रम्
ब्रह्मलोकालया लौकान्तिकाः ॥ ४-२५ ॥ * तस्याधारस्थानम्बंभलोए कप्पे........लोगंतिता देवा पण्णत्ता ।
[स्थानांग स्थान ८ सूत्र ६२३] 卐 मूलसूत्रम्
सारस्वता-ऽऽदित्य-वन्ह्यरुण-गर्दतोय-तुषिता-ऽव्याबाध-मरुतोऽरिष्टाश्च ॥ ४-२६ ॥ * तस्याधारस्थानम्(१) सारस्सयमाइच्चा वण्हीवरुणा य गद्दतोया य। तुसिया अव्वावाहा अग्गिच्चा चेव रिट्ठा च ॥
स्थानांग स्थान ६ सूत्र ६८४] (२) एएसुणं अट्ठसु लोगंतिय विमाणेसु अविहा ।
लोगंतीया देवा परिवसंति, तं जहासारस्सयमाइच्चा वण्हीवरुणा य गद्दतोया य । तुसिया अव्वावाहा अग्गिच्चा चेव रिट्ठाए ॥ २८ ॥
[भगवतीसूत्र ६ शतक ५ उद्देश] 卐 मूलसूत्रम्
विजयादिषु द्विचरमाः ॥ ४-२७ ॥ * तस्याधारस्थानम्
विजय वेजयंत जयंत अपराजिय देवत्ते , केवइया दविदिया प्रतीता पण्णता ? । गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ पत्थि , जस्सत्थि अट्ठ वा सोलस वा इत्यादि ।
[प्रज्ञापना० पद १५ इन्द्रिय पद] 卐 मूलसूत्रम्
औपपातिक-मनुष्येभ्यः शेषास्तिर्यग्योनयः ॥ ४-२८ ॥ * तस्याधारस्थानम्उववाइया....मणुप्रा (सेसा) तिरिक्खजोणिया।
[दशवैका० अध्ययन षटकायाधिकार]
Loading... Page Navigation 1 ... 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264