Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 03 04
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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४।१४ ] चतुर्थोऽध्यायः
[ २६ अष्टचत्वारिंशद्योजनकषष्ठिभागाः सूर्यमण्डलस्य विष्कम्भो भवति । तथा चन्द्रमसः षट्पञ्चाशत्, ग्रहाणामधंयोजनम्, नक्षत्राणां गव्यूतम्, सर्वोत्कृष्टायास्ताराया अर्धकोशो, जघन्यायाः पञ्चधनुः शतानि सन्ति ।
विष्कम्भाधबाहुल्याश्च भवन्ति निखिलाः सूर्योदयः, मनुष्यलोक इति वर्तते । बहिस्तु विष्कम्भबाहल्याभ्यां अतोऽधं भवन्ति । एतानि च ज्योतिष्कविमानानि सन्ति । तेषां लोकस्थित्या प्रसक्तावस्थितगतीन्यपि ऋद्धिविशेषार्थमाभियोग्यनामकर्मोदयाच्च नित्यं गतिरतयो देवाः वहन्ति एव । तथाहि-पूर्वतः केसरिणः, दक्षिणतः कुञ्जराः, पश्चिमतो वृषभाः, उत्तरतो जविनोऽश्वाश्चेति ।। ४-१४ ।।
सूत्रार्थ-मनुष्य लोक में उक्त पाँचों प्रकार के ज्योतिष्क विमान मेरुपर्वत की प्रदक्षिणा करते हुए नित्य गतिशील हैं ॥ ४-१४ ।।
+ विवेचनामृत चर ज्योतिष्क
पूर्व के तीसरे अध्याय और चौदहवें सूत्र में कहकर आये हैं कि मानुषोत्तर पर्वत पर्यन्त मनुष्यलोक है। इसमें रहने वाले ज्योतिष्क नित्य गतिशील यानी परिभ्रमणशील होकर मेरुपर्वत की प्रदक्षिणा करते हुए सदैव परिभ्रमण किया करते हैं। तथा वे सूर्यादि सभी, मेरुपर्वत से ११२१ योजन दूर रहते हैं। मनुष्यलोक में सूर्यादिक की संख्या
ज्योतिष्क देवों के जो पाँच भेद बताये हैं, उनमें से जम्बूद्वीप में दो सूर्य हैं, लवणसमुद्र में चार सूर्य हैं, धातकी खण्ड में बारह सूर्य हैं, कालोदधि समुद्र में बयालीस सूर्य हैं, तथा पुष्करवरद्वीप के मनुष्यक्षेत्र सम्बन्धी अर्धभाग में बहत्तर सूर्य हैं।
इस तरह मनुष्यलोक में कुल मिलाकर एक सौ बत्तीस (१३२) सूर्य होते हैं । __इसी प्रकार चन्द्रमा भी जम्बूद्वीप में दो, लवरणसमुद्र में चार, धातकीखण्ड में बारह, कालोदधिसमुद्र में बयालीस और पुष्कराध द्वीप में बहत्तर हैं। वे भी सब मिलाकर एक सौ बत्तीस [१३२] चन्द्रमा होते हैं। ग्रह, नक्षत्र और तारा ये तीनों चन्द्र के परिवार हैं। चन्द्र का परिवार सूर्य का भी परिवार है, क्योंकि सूर्य का परिवार पृथग नहीं है। उसका कारण यही है कि चन्द्र
अधिक ऋद्धिमान और पुण्यशाली है। प्रत्येक चन्द्रमा का परिवार-परिग्रह इस प्रकार है
अठासी (८८) ग्रह, अट्ठाईस (२८) नक्षत्र तथा छयासठ हजार नौ सौ पचहत्तर (६६६७५) कोडाकोड़ी तारा। इतना परिवार एक चन्द्र का होता है।