Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 03 04
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे
* क्षीरवर समुद्र का जल-पानी दूध जैसा है ।
* घृतवर समुद्र का जल पानी घृत-घी जैसा है ।
* स्वयम्भूरमण समुद्र का जल पानी स्वाभाविक जैसा है । शेष समस्त समुद्रों का जल - पानी इक्षु-शेरड़ी जैसा है ।
अर्थात् - जल - पानी के प्रास्वादन में ऐसा ही स्वाद होता है ।
इस सूत्र में जिनका निर्देश किया है, वे द्वीप और समुद्र किस तरह से अवस्थित हैं, तथा उनका प्रमाण कितना होता है ?
इसे कहने के लिए आगे का सूत्र कहते हैं ।। ( ३-७)
5 सूत्रम् -
[ ३८
* द्वीप - समुद्रयोः व्यास - रचनाऽऽकृतयः
द्विद्विविष्कम्भः पूर्वपूर्वपरिक्षेपिरणो वलयाकृतयः ॥ ३-८ ॥
* सुबोधिका टीका
एते सर्वे द्वोप- समुद्राः यथाक्रमादितः द्विद्विविष्कम्भाः पूर्वपूर्व परिक्षेपिणः वलयाकृतयः प्रत्येतव्याः । यथा च जम्बूद्वीपो लवणसमुद्रेण परिक्षिप्तः, लवणसमुद्रो धातकीखण्डेन परिक्षिप्तः तथा धातकीखण्डद्वीप: कालोदधिसमुद्रेण, कालोदधिसमुद्रः पुष्करवरद्वोपार्धेन, पुष्करवरद्वीपार्धं मानुषोत्तरेण पर्वतेन, पुष्करवरद्वीपः पुष्करवरोदेन समुद्रेण च परिक्षिप्तः । एवमास्वयम्भूरमणात्समुद्रादिति । तेषु श्राद्यः जम्बूद्वीपः तस्य विष्कम्भः योजनशतसहस्रम् । तद्विगुणो लवणजलसमुद्रस्य । लवणजलसमुद्रविष्कम्भाद् द्विगुणो धातकीखण्डद्वीपस्य । इत्येवमास्वयम्भू रमरणसमुद्रात् । निखिलाश्च ते कंकरणवत् वलयाकृतयः सह मानुषोत्तरेणेति ।। ३-८ ।।
* सूत्रार्थ - उपर्युक्त सर्व द्वीप और समुद्र पूर्व-पूर्व के द्वीप समुद्र को वलयाकार घेरे हुए हैं तथा दुगुने - दुगुने विस्तार वाले हैं ।। ३८ ।।
5 विवेचनामृत 5
समझना चाहिए ।
उपर्युक्त सभी द्वीप और समुद्रों का विष्कम्भ यानी चौड़ाई का प्रमाण प्रथम जम्बूद्वीप से लेकर यावत् अन्तिम स्वयम्भूरमण समुद्र पर्यन्त दुगुणा दुगुणा तथा ये सभी द्वीप या समुद्र अपने-अपने से पूर्व द्वीप या समुद्र को घेरे हुए हैं। जैसे - जम्बूद्वीप को लवणसमुद्र और लवणसमुद्र को धातकीखण्डद्वीप, तथा धातकीखण्डद्वीप को कालोदधि समुद्र एवं कालोदधि