Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 03 04
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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चतुर्थोऽध्यायः
* भवनवासियों के बीस इन्द्रों के नाम का कोष्ठक *
संख्या
देवों के नाम
दक्षिणेन्द्र
उत्तरेन्द्र
बलीन्द्र
भूतानंदेन्द्र
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असुरकुमार नागकुमार विद्युत्कुमार सुपर्णकुमार अग्निकुमार वातकुमार स्तनितकुमार उदधिकुमार द्वीपकुमार दिग्कुमार
चमरेन्द्र धरणेन्द्र हरीन्द्र वेणुदेवेन्द्र अग्निशिखेन्द्र वेलम्बेन्द्र सुघोषेन्द्र जलकान्तेन्द्र पूर्णेन्द्र अमितेन्द्र
हरिहसेन्द्र वेणुदारीन्द्र अग्निमाणवेन्द्र प्रभञ्जनेन्द्र महाघोषेन्द्र जलप्रभेन्द्र अवशिष्टेन्द्र अमितवाहनेन्द्र
* व्यन्तरनिकाय के सोलह इन्द्रों के नाम का कोष्ठक ६%
संख्या
देवों के नाम
दक्षिणेन्द्र
उत्तरेन्द्र
किन्नरेन्द्र
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किन्नर किंपुरुष महोरग गन्धर्व यक्ष राक्षस
सत्पुरुषेन्द्र अतिकायेन्द्र गीतरतीन्द्र पूर्णभद्रेन्द्र भीमेन्द्र प्रतिरूपेन्द्र कालेन्द्र
किम्पुरुषेन्द्र महापुरुषेन्द्र महाकायेन्द्र गीतयशेन्द्र मणिभद्रेन्द्र महाभीमेन्द्र अतिरूपेन्द्र महाकालेन्द्र
भूत
पिशाच
प्रस्तुत सूत्र में पहले की दो निकायों 'भवनपति-व्यन्तर' में दो-दो इन्द्र कहे हैं। इससे यह सूचित होता है कि शेष दो निकायों में उक्त संख्या का अभाव है ।
ज्योतिष्क निकाय में सूर्य और चन्द्र ये दो इन्द्र हैं, किन्तु ये सूर्य और चन्द्र एक-एक ही नहीं, किन्तु गिनती में असंख्याते हैं। क्योंकि-मनुष्यलोक में चन्द्र और सूर्य के २६४ विमान कहे हैं, तथा शेष तिर्खा लोक में असंख्याते विमान है। उन सर्व के पृथक् दो इन्द्र हैं, इसलिए असंख्याते इन्द्र होते हैं। वैमानिक निकाय में प्रत्येक कल्प का एक-एक इन्द्र है। जैसे