Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 03 04
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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चतुर्थोऽध्यायः
[ १६
अनुसार
पूर्वोक्त दस प्रकार के भवनपति देवों के चिह्नादि, सम्पत्ति स्वजाति के भिन्न-भिन्न होते है। जैसे—
(१) असुरकुमार - गम्भीर, सम्पूर्ण अंग तथा उपांगों के द्वारा सुन्दर, कृष्णवर्ण, महाकाय और रत्नों से उत्कट मुकुट के द्वारा देदीप्यमान हैं । इनका चिह्न चूड़ामणि रत्न है ।
(२) नागकुमार – कृष्णश्याम अत्यधिक श्यामवर्ण वाले, एवं मृदु तथा ललितगति वाले हैं। इनके सिरों पर नाग सर्प का चिह्न है ।
(३) विद्युत्कुमार - स्निग्ध प्रकाशशील तथा उज्ज्वल शुक्लवर्ण वाले हैं । इनका चिह्न वज्र है ।
(४) सुवर्ण (सुपर) कुमार -- ग्रीवा और वक्षस्थल में प्रतिसुन्दर श्याम, किन्तु शुद्ध वर्ण के धारक हैं । इनका चिह्न गरुड़ है ।
(५) अग्निकुमार - मान और देदीप्यमान और शुद्ध वर्ण के धारक हैं।
उन्मान - चौड़ाई और ऊँचाई के प्रमाण से युक्त, तथा इनका चिह्न घट है ।
(६) वातकुमार - स्थिर, स्थूल तथा गोल शरीर को रखने वाले, और निमग्न उदर से सहित एवं शुद्ध वर्ण के धारक हैं । इनका चिह्न श्रश्व है ।
(७) स्तनितकुमार - चिक्करण और स्निग्ध गम्भीर प्रतिध्वनि तथा महानाद करने वाले एवं कृष्ण वर्ण वाले हैं । इनका चिह्न वर्धमान है ।
(८) उदधिकुमार - जङ्घा तथा कटि भाग में अधिक सुन्दर और कृष्णश्याम वर्ण के धारक 1 इनका चिह्न मकर है ।
(e) द्वीपकुमार - वक्षःस्थल, स्कन्ध-कंधा, बाहुत्रों का अग्रभाग एवं हस्त-स्थल में विशेष सुन्दर हुआ करते हैं, शुद्ध श्याम तथा उज्ज्वल वर्ण को धारण करने वाले हैं । इनका चिह्न
सिंह है ।
(१०) दिक्कुमार- ये जङ्घाओं के अग्रभाग में तथा पैरों में अधिक सुन्दर होते हैं । एवं श्यामवर्ण को धारण करने वाले हैं । इनका चिह्न हाथी है ।
इस तरह भवनवासी देवों की भिन्न-भिन्न विक्रियाओं का अंशत: स्वरूप कहा । इसके सिवाय ये सभी देव विविध प्रकार के वस्त्र-शस्त्राभूषरणादिक से भी युक्त होते हैं ।
विशेष - भवनपति देवों के मुकुट में विशेष प्रकार के चिह्न, शरीर के वर्ण भी भिन्न-भिन्न, तथा वस्त्रों के वर्ण भी विविध प्रकार के होते हैं; जिनका वर्णन पूर्व में किया है ।