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अध्याय-८
गतिजातिशरीरांगोपांगनिर्माणबन्धनसंघातसंस्थान
संहननस्पर्शरसगंधवर्णानुपूर्व्यागुरुलघूपघात___ परघातातपोद्योतोच्छ्वासविहायोगतयः
प्रत्येकशरीरत्रससुभगसुस्वरशुभसूक्ष्मपर्याप्ति
स्थिरादेययश:कीर्तिसेतराणि तीर्थकरत्वं च ॥११॥ [गतिजातिशरीरांगोपांगनिर्माणबन्धनसंघातसंस्थानसंहननस्पर्शरसगंधवर्णानुपूर्व्यागुरुलघूपघातपरघातातपोद्योतोच्छ्वासविहायोगतयः] गति, जाति, शरीर, अंगोपांग, निर्माण, बन्धन, संघात, संस्थान, संहनन, स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण, आनुपूर्व्य, अगुरुलघु, उपघात, परघात, आतप, उद्योत, उच्छ्वास और विहायोगति - ये इक्कीस, तथा [प्रत्येकशरीरत्रससुभगसुस्वरशुभसूक्ष्मपर्याप्तिस्थिरादेययशःकीर्तिसेतराणि] प्रत्येक शरीर, त्रस, सुभग, सुस्वर, शुभ, सूक्ष्म, पर्याप्ति, स्थिर, आदेय और यश:कीर्ति - ये दस तथा इनके प्रतिपक्षभूत दस अर्थात् साधारण शरीर, स्थावर, दुर्भग, दु:स्वर, अशुभ, बादर (स्थूल), अपर्याप्ति, अस्थिर, अनादेय और अपयश:कीर्ति - ये दस [ तीर्थकरत्वं च] और तीर्थकरत्व, इस तरह नामकर्म के कुल ब्यालीस भेद हैं।
The name or physique-making (nāma) karma has these twenty-one subdivisions: the state of existence - gati, the class - jāti, the body – śarīra, the chief and secondary parts - angopanga, formation - nirmana, binding - bandhana, molecular interfusion - samghāta, structure - samsthāna, joints - samhanana, touch - sparsa, taste - rasa, odour -gandha, colour - varna, migratory form after death - ānupūrvya, neither heavy nor light - agurulaghu, self-annihilation - upaghāta, annihilation by
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