________________ नाथावत आचार्य श्री उमास्वामी विरचित तत्त्वार्थसूत्र जैन दर्शन की कुंजी है। जो सात तत्त्वों में सम्यग्श्रद्धान करता है निश्चय से वही सम्यग्दृष्टि है और वही मोक्ष-पथ का आरोहक है। यह शास्त्र द्रव्यानुयोग का सार है। इस शास्त्र का अध्ययन मुनि के लिये तो अति आवश्यक है ही, श्रावकों के लिये भी यह परम उपयोगी है। ___ श्री विजय कुमार जैन इस पञ्चम काल में भी ऐसे शुभ ज्ञानोपयोग में संलग्न हैं जैसा कि प्रायः मुनि-चर्या में ही देखने में आता है। वे सम्पूर्ण जैन जगत को ऐसी अनुपम भेंट दे रहे हैं जो बहुत समय तक भव्य जीवों के लिये उपकारी होगी। ऐसे मोक्षमार्गी श्रावक को मैं अंतरात्मा से बहुत-बहुत मंगल आशीर्वाद देता हूँ। 30 अक्टूबर 2018, हस्तिनापुर आचार्य 108 श्री निःशंकभूषण मुनि यह प्रस्तुति तत्त्वार्थसूत्र तथा सर्वार्थसिद्धि ऐसे दो महान् शास्त्रों का समन्वय है। ये दोनों ही शास्त्र जैन दर्शन के स्तम्भ हैं। इनमें जिनेन्द्रदेव के शासनरूपी अमृत का सार है तथा सभी को इनका मन:पूर्वक अध्ययन करना चाहिये। अपने विलक्षण व अकथनीय प्रयास से श्री विजय कुमार जैन ने इन शास्त्रों का अंग्रजी अनुवाद प्रस्तुत किया है। उनका यह कार्य अति प्रशंसनीय है। आने वाले बहुत समय तक उनकी यह प्रस्तुति भव्य जीवों की पथ-प्रदर्शक रहेगी। पुण्यात्मा श्री विजय कुमार जैन को मैं बहुत-बहुत मंगल आशीर्वाद देती हूँ। 30 अक्टूबर 2018, हस्तिनापुर आचार्य 108 श्री विद्यानन्द मुनि की सुयोग्य शिष्या गणिनी आर्यिका 105 विद्याश्री माताजी विकल्प Vikalp Printers