Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir तंडुल FFFFFFFFF3t+F+FHF 4F पंचपेमीसयाई नवधम्मणी नवननई चेव रोमकूवतय सहस्साई निवन विणाकेलसमंसुणा; अर्थः सह केमममंसुणा अहान रोमकूवकोडीन निवत्तेश, अष्ठमे मासे वित्तिकप्पो हवा. जीव. स नंत गप्रगयस्समाणस अघि नच्चार वा, पासवणवा, खलेश वा, सिंघाण वा, बतेइ वा, पीने वा, सुकेवा . माणिएडवा, नो ऽण समठे. से केणगं ते एवं वुद्ध(मोटी नाडीओ ) तथा ( मस्तकना) केश अने दाढी मुना वाळ शिवाय नवाणुलाख | रोमकूपाने उपजावे. अने ते केठा अन दाढी मुना बाळोने जो अंदर नेळवीएं तो साडा-: | त्रण क्रोड रोमकूपोने नपजावले. अाठमे मासे ते गर्नने संपूर्ण अंगोपांगनी प्राप्ति वाय. १०॥ (हव श्रीगौतमस्वामी नगवानने पूजे जे के) हे लगवन ! जीव गर्नमां वसतांकां वि. टा कर ? पेशाब करे? थुके ? सुंघे? वमन करे ? पिन करे? वीर्यन आवेअथवा शुं रुधि 1616891821 For Private and Personal Use Only

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