Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 91
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandie तंहुल० li Cru 1903EHist. किमिकुलसयसंकिम्मे । असुश्मयप्रसासयमसारे॥ सेयमलपुच्चडमि। निश्चयं बच्चद सरीरे॥७॥ अर्थाः दंतमलकनगृहग-संघाणमले य लालमबहुले ॥ एारिसे बीन। दुगंणिज्जंमि को रागो ॥ ७॥ को सडणपडणविकरण-विमणचयणमरणधम्ममि ॥ देइंमि अहिलासो रीरनीअंदर राग करवो नही ।।६॥ मेंकमो कृमिनना समूहश्रीजरेला अशुचिवाळा अशाश्वता तथा प्रसार तथा पसीनाना मेलश्री निंदनिक एवां आ शरीरने विषे नित्यपणानो त्याग कगे? ॥ ७॥ दांतना कानना तथा नाशिकाना मेलवाळा अन घणी एवी लाळोना मेलवाळा एवा Enten बीनस तथा गंउवालायक आ शारीरमा राग शामाटे करवो जोश्ये?॥6॥ सडण प| मप विकार विनाश त्याग तथा मरणना स्वजाववाळा अने सडेला कढणना काष्टसरखां : IFRSTITU9E9.." For Private and Personal Use Only

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